रायगढ़

लैलूंगा में बच्चों की ज़िंदगी से खिलवाड़ : जर्जर स्कूल भवन बना ‘मौत का कुआं’, मासूम दूसरे के परछी में पढ़ने को मजबूर!…

रायगढ़। छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली एक भयावह तस्वीर लैलूंगा विकासखंड के ग्राम पंचायत खम्हार बस्तीपारा से सामने आई है, जहाँ एक प्राथमिक शाला आज “शिक्षा का मंदिर” नहीं, बल्कि मौत का कुंआ बन चुकी है। दीवारों में गहरी दरारें, छत से झड़ता पलस्तर और टपकता पानी – यह सब किसी बड़ी दुर्घटना का संकेत दे रहे हैं।

यह वही जगह है जहाँ मासूम बच्चों के भविष्य का निर्माण होना चाहिए था, लेकिन अब यही भवन उनके जीवन के लिए खतरा बन गया है। हालात इतने खतरनाक हैं कि बच्चे अपने ही स्कूल भवन में नहीं, बल्कि दूसरे के परछी में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।

“छत झड़ती है, दीवार हिलती है… फिर भी बच्चे वहीं बैठते हैं!” : स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बरसात के दिनों में स्कूल की छत से पानी टपकता है। किताबें भीग जाती हैं, और बच्चों को जान जोखिम में डालकर क्लास में बैठना पड़ता है। ग्रामीणों ने कई बार भवन की मरम्मत की मांग की, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला।

शिक्षकों ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बीईओ लैलूंगा को कई बार लिखित रूप में अवगत कराया, लेकिन विभाग की लापरवाही के कारण आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। न कोई निरीक्षण हुआ, न मरम्मत।

एक शिक्षक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया

“हम बच्चों को भवन के बाहर बैठाकर पढ़ाते हैं, क्योंकि किसी भी वक्त छत गिर सकती है। जिम्मेदार अधिकारी फाइलें पलटने में व्यस्त हैं, लेकिन बच्चों की जान पर मंडराता खतरा कोई नहीं देख रहा।”

ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द नई स्कूल बिल्डिंग का निर्माण नहीं कराया गया, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। बच्चे डर के साए में पढ़ रहे हैं, और अभिभावक हर रोज़ दहशत में जी रहे हैं।

ग्रामीणों की शासन-प्रशासन से गुहार :

“हमारे बच्चों को सुरक्षित शिक्षा का अधिकार दीजिए, इससे पहले कि कोई हादसा ‘हेडलाइन’ बन जाए!”

यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि पूरे तंत्र पर सवाल है
क्या शासन-प्रशासन को किसी त्रासदी का इंतज़ार है ताकि कार्रवाई की औपचारिकता निभाई जा सके? बच्चे स्कूल में ज्ञान पाने आते हैं, मौत नहीं!

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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