टेण्डा नावापारा सहकारी समिति में करोड़ों का घोटाला – घरघोड़ा पुलिस ने दूसरे फरार आरोपी को दबोचा, तीसरे की तलाश जारी…

रायगढ़, 10 अक्टूबर।सहकारिता के नाम पर किसानों के साथ धोखा और सरकारी धन की खुली लूट का मामला सामने आया है। रायगढ़ जिले की टेण्डा नावापारा सहकारी समिति में करोड़ों रुपए के गबन के आरोप में फरार चल रहे कंप्यूटर ऑपरेटर मुकेश यादव को घरघोड़ा पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। इस घोटाले में सहायक समिति प्रबंधक मनोज गुप्ता पहले ही सलाखों के पीछे पहुंच चुका है, जबकि तीसरा आरोपी दिलीप राठिया (समिति भृत्य) अब भी फरार है।
कैसे खुला करोड़ों का खेल : 25 फरवरी 2025 को जिला खाद्य अधिकारी रायगढ़ द्वारा गठित जांच दल — जिसमें खाद्य निरीक्षक घरघोड़ा और सहकारिता निरीक्षक घरघोड़ा शामिल थे — ने जब टेण्डा नावापारा स्थित धान उपार्जन केंद्र का औचक निरीक्षण किया, तो वहाँ धांधली का पहाड़ सामने आया।
- 7,159.60 क्विंटल धान केंद्र से गायब था,
- 4,108 नग खाली नया बारदाना,
- 426 मिलर बारदाना, और
- 1,854 नग पीडीएस बारदाना का भी कोई हिसाब नहीं था।
कुल मिलाकर समिति को ₹2 करोड़ 26 लाख 62 हजार 560 की भारी आर्थिक क्षति हुई।
अपराध दर्ज और जांच की दिशा : इस मामले में अपेक्स बैंक तमनार के विमल कुमार सिंह की रिपोर्ट पर थाना घरघोड़ा में अपराध क्रमांक 89/2025 दर्ज किया गया।
प्रकरण को भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 316(5), 318(4), 3(5) के तहत दर्ज किया गया है।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि
सहायक समिति प्रबंधक मनोज गुप्ता,
कंप्यूटर ऑपरेटर मुकेश यादव,
और समिति भृत्य दिलीप राठिया
ने आपसी मिलीभगत से किसानों के नाम पर फर्जी (बोगस) धान खरीदी दिखाई और लाखों रुपये की राशि का आपस में बंटवारा कर लिया।
पुलिस की सटीक कार्रवाई :
थाना प्रभारी निरीक्षक कुमार गौरव साहू के नेतृत्व में पुलिस ने जांच की बारीकियों पर तेजी से काम किया।
- 8 सितंबर को आरोपी मनोज गुप्ता को ग्राम नावापारा टेण्डा से गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में उसने कबूल किया कि गबन की रकम में से अपना हिस्सा निजी खर्च में उड़ा दिया। - इसके बाद 9 अक्टूबर को पुलिस ने मुकेश यादव को रायगढ़ रोड गेरवानी के पास घेराबंदी कर पकड़ लिया।
गिरफ्तारी के बाद मुकेश यादव ने भी अपराध स्वीकारते हुए बताया कि उसे गबन की रकम में से लगभग दो लाख रुपये मिले थे, जिन्हें उसने व्यक्तिगत खर्च में इस्तेमाल कर लिया।
अब आरोपी को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।
तीसरे आरोपी की तलाश जारी : इस घोटाले का तीसरा खिलाड़ी दिलीप राठिया अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है।
पुलिस ने बताया कि उसे जल्द गिरफ्तार कर पूरे घोटाले की परतें उजागर की जाएंगी।
प्रशासन पर भी सवाल : यह मामला सिर्फ समिति स्तर की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की नाकामी को उजागर करता है। किसानों के नाम पर करोड़ों की बोगस खरीदी दिखाना और महीनों तक जांच न होना, यह साफ संकेत है कि “सिस्टम में भी कहीं न कहीं सड़न है।”
घरघोड़ा पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने यह साबित किया है कि गबन और भ्रष्टाचार के मामलों में अब “नेटवर्क” चाहे जितना गहरा हो, कानून की पकड़ से बचना मुश्किल है।




