बलौदाबाजार-भाटापारा

सीमेंट प्लांट में मौत का क्वायल: ठेका मजदूर की कुचलकर मौत, सुरक्षा इंतज़ामों पर बड़ा सवाल!…

बलौदाबाजार। जिले के एक निजी सीमेंट प्लांट में कार्यरत संविदा श्रमिक की दर्दनाक मौत ने औद्योगिक सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिहार के रोहतास निवासी बिपिन कुमार (उम्र लगभग 28 वर्ष) की मौत काम के दौरान बॉयलर कैंसिंग के क्वायल के नीचे दबने से हो गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा तब हुआ जब क्लैंप अचानक छूट गया, और भारी क्वायल गिरकर बिपिन को बुरी तरह कुचल गया। बिपिन को तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें पहले ही मृत घोषित कर दिया। डॉ. अविनाश मार्कण्डेय ने बताया कि “जांच में मृतक के सिर पर गंभीर चोट पाई गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।” सिविल सर्जन डॉ. अशोक वर्मा ने भी पुष्टि की कि बिपिन अस्पताल लाए जाने से पहले ही दम तोड़ चुके थे।

बिपिन के साले उपेंद्र कुमार ने बताया कि वह टिकेश नामक ठेका कंपनी के अधीन कार्यरत थे और सिर्फ डेढ़ माह पहले ही नौकरी ज्वाइन की थी। उपेंद्र का आरोप है कि “प्लांट में सुरक्षा इंतज़ाम नाम के लिए हैं। हेलमेट, बेल्ट और अलर्ट सिस्टम सब कागज़ों में हैं, मौके पर नहीं।”

घटना स्थल पर मौजूद साथी मजदूर राकेश कुमार पटेल ने कहा कि हादसे के वक्त “क्वायल इतनी तेजी से गिरा कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।”

स्थानीय मजदूर संगठन ने प्लांट प्रबंधन पर लापरवाही और श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मुआवजा और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

प्लांट प्रशासन ने घटना की आंतरिक जांच शुरू करने की बात कही है, पर मजदूरों का कहना है कि “हर बार जांच का वादा होता है, दोषी कभी नहीं पकड़े जाते।”

प्रश्न जो उठते हैं :

  • क्या प्लांट में सुरक्षा मानकों का पालन सिर्फ कागज़ों पर हो रहा है?
  • ठेका मजदूरों की जान इतनी सस्ती क्यों?
  • हर हादसे के बाद जांच और मुआवजे का चक्र ही जवाब है क्या?

💢 बिपिन कुमार की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि उद्योगों में व्याप्त उस खामोश लापरवाही की चीख है जिसे सुनने वाला कोई नहीं।

Ambika Sao

सह-संपादक

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