रायगढ़

जनता कोल ब्लॉक के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई स्वयं लड़े : प्रेस क्लब अध्यक्ष नारायण बाइन…

रायगढ़। जिले के धरमजयगढ़ के भविष्य पर मंडराते कोयला खनन के खतरे के बीच प्रेस क्लब अध्यक्ष नारायण बाइन ने जनता से आह्वान किया है कि वे अपने अधिकारों और ज़मीन की रक्षा स्वयं करें — भरोसा उन जनप्रतिनिधियों और दलाल-नुमा नेताओं पर नहीं रखें जो कथित तौर पर उद्योगपतियों के समक्ष झुक जाते हैं।

नारायण ने जोर देकर कहा, “जब तक हम अपनी लड़ाई स्वयं नहीं लड़ेंगे, धरमजयगढ़ सुरक्षित नहीं रहेगा। पिछले कुछ सालों में वेदांता और डीवी पॉवर के कोल-ब्लॉक के वक्त जो दिखावा हुआ – ‘हम जनता के साथ हैं’ – वह बस नाटक था।” उन्होंने आरोप लगाया कि कई नेता बाहर से विरोध का नाटक करते हैं पर अंदरूनी तौर पर कंपनियों का साथ देते हुए लेटरपैड पर समर्थन तक दे चुके हैं।

प्रेस क्लब के अध्यक्ष के अनुसार, यह केवल राजनीति नहीं बल्कि धोखा है -“ये नेता जनता की नहीं, उद्योगपतियों की सेवा करते हैं। माइक पर जो जयघोष करते हैं, असल में उनकी असलियत अलग है। लेटरपैड पर समर्थन लिख कर उन्होंने धरमजयगढ़ का भविष्य खतरे में डाल दिया।” नारायण ने यह भी कहा कि जनता अब उन ‘चालाक जनप्रतिनिधियों’ के चंगुल से जाग जाए।

नारायण ने धरमजयगढ़ वासियों को स्पष्ट निर्देश दिए – आंदोलन योजनाबद्ध और कानून के दायरे में रह कर चलाना चाहिए। उन्होंने कहा, “कोई भी नियम-विरुद्ध आंदोलन न करे; नियमों का पालन कर के ही हम जीत पाते हैं। यदि आंदोलन शांतिपूर्ण और कानूनी ढंग से होगा तो असर निश्चित होगा।”

उन्होंने शिंगूर आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा कि जहाँ सुनियोजित, नियमबद्ध जनहित की लड़ाई में कंपनियाँ पीछे हटती हैं -“शिंगूर में टाटा जैसी कंपनी को 90% काम पूरा होने के बाद भी छोड़कर जाना पड़ा – यह हमारी ताकत और संयोजन का प्रमाण है।”

नारायण का कहना है कि जनता को नेताओं पर निर्भरता छोड़कर स्वयं जाग्रत नागरिक के रूप में आगे आना होगा – बैठकें, कानूनी पहल, जनजागरण और सार्वजनिक दस्तावेजों के साथ संघर्ष को मजबूत करना होगा। उन्होंने स्थानीय निवासियों से अपील की कि वे अपनी जमीन, जंगल और जल संसाधनों की जानकारी इकट्ठा करें, सामूहिक शिकायतें दर्ज कराएँ और लोकतांत्रिक तरीकों से लड़ें।

प्रेस क्लब अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि अगर अब भी वही लोग जिन्हें जनता ने चुना है, उद्योगपतियों के दबाव में रहकर क्षेत्र का भविष्य बेचने का काम कर रहे हैं, तो धरमजयगढ़ की बुनियादी अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी बुरी तरह प्रभावित होगी। “विकास का असली मतलब यदि धरमजयगढ़ के विनाश से जुड़ा है तो वह विकास नहीं, विनाश है,” उन्होंने कहा।

अंत में नारायण बाइन ने कहा – “धरमजयगढ़ को बचाने के लिए आज हर नागरिक को अपने हिस्से की लड़ाई लड़नी होगी। नारेबाज़ी नहीं, संगठित, कानूनी और दृढ़ संघर्ष चाहिए।” प्रेस क्लब के इस आह्वान के बाद स्थानीय नागरिक और सामाजिक संगठन आगामी दिनों में रणनीति बनाने की दिशा में जुटने की संभावना जता रहे हैं।

Ambika Sao

सह-संपादक

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