छत्तीसगढ़ के किसानों को बड़ी राहत: अब मंडी में एक क्विंटल धान का खर्चा मात्र ₹34.77, सरकार ने जारी किया नया ‘रेट कार्ड’…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की कृषि उपज मंडियों में अब किसानों और व्यापारियों से ‘हमाली’ और ‘लोडिंग’ के नाम पर अवैध वसूली नहीं हो सकेगी। राज्य सरकार ने मंडियों में होने वाले कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए हर काम का रेट फिक्स कर दिया है।
महानदी भवन मंत्रालय से कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग ने अधिसूचना जारी करते हुए ‘लोडिंग से लेकर स्टैकिंग’ तक के 8 प्रमुख कामों की दरें निर्धारित कर दी हैं। अब मंडी में एक क्विंटल उपज के निस्तारण का कुल खर्च 34.77 रुपये तय किया गया है।

खबर की ‘इनसाइड स्टोरी’ : क्यों पड़ी इसकी जरूरत? – अक्सर मंडियों में सीजन के दौरान काम का दबाव बढ़ते ही हमाल और ठेकेदार मनमाने रेट की मांग करने लगते थे। कभी बोरा सिलाई के नाम पर तो कभी चढ़ाई-उतराई के नाम पर किसानों की जेब काटी जाती थी। इस नए आदेश (क्रमांक 1742) ने इस ‘लूट’ पर पूरी तरह से नकेल कस दी है।
देखिए नया ‘रेट चार्ट’ (प्रति क्विंटल) : सरकार ने एक-एक पैसे का हिसाब रखा है। उप सचिव विकास मिश्रा द्वारा जारी आदेश के अनुसार दरें इस प्रकार होंगी:
- गाड़ी में माल चढ़ाना (लोडिंग): ₹ 6.75 (सबसे ज्यादा रेट)
- कांटे से उतारना (तौल एवं उतारना): ₹ 5.75
- गाड़ी से माल उतारना (अनलोडिंग): ₹ 5.15
- बोरा भराई और कांटे पर चढ़ाना: ₹ 5.00
- ढेर लगाना: ₹ 3.50
- स्टैकिंग (छल्ली लगाना): ₹ 3.50
- लेबल लगाना: ₹ 3.15
- सिलाई: ₹ 1.97
- कुल खर्च: ₹ 34.77
आदेश का असर : यह दरें छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी अधिनियम, 1972 के तहत जारी की गई हैं। अधिसूचना में साफ कहा गया है कि संशोधित दरें राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही प्रभावी हो जाएंगी और आगामी आदेश तक लागू रहेंगी।
जानकारों का कहना है:
”यह फैसला मंडी व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा। अब न तो किसान ठगा महसूस करेगा और न ही मजदूर को उसकी मेहनत का कम पैसा मिलेगा। 34 रुपये 77 पैसे का यह गणित मंडी के पुराने समीकरणों को बदल कर रख देगा।”




