धरमजयगढ़ में तीन मौतों का हिट-एंड-रन कांड ; मंडल संयोजक के घर की कार लेकिन आरोपी अब भी “अज्ञात”!…किसे बचा रही पुलिस?…

रायगढ़। धरमजयगढ़ में गुरुवार को हुई एक भीषण सड़क दुर्घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। एक तेज रफ्तार मारुति सुज़ुकी फ्रॉन्क्स कार (CG13 BE 1285) ने सड़क किनारे खड़ी महिला को टक्कर मारी और उसके बाद सामने से आ रही बाइक को रौंद डाला। इस भयावह हादसे में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों में एक महिला और दो युवक शामिल हैं। घटना के बाद चालक कार और घायलों को वहीं छोड़कर फरार हो गया।
दुर्घटना गुरुवार दोपहर करीब 12:15 बजे ग्राम खम्हार के चाल्हा चौक मोड़ पर हुई। मृतकों की पहचान ललिता मिंज (35 वर्ष) निवासी रामपुर, अमित किंडो (26 वर्ष) निवासी सुगापानी मैनपाठ, जिला सरगुजा, और फकीर मोहन पटेल (33 वर्ष) निवासी परसदा छोटे, थाना सारंगढ़ के रूप में हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार इतनी तेज गति से चल रही थी कि बाइक टकराने के बाद करीब 15 फीट दूर जा गिरी। हादसे की भयावहता इतनी थी कि तीनों की मौके पर ही मृत्यु हो गई।
पुलिस ने मौके से वाहन जब्त कर लिया है। जांच में पता चला कि यह कार सुरेश कुमार कहार, निवासी वार्ड क्रमांक 2 सारंगढ़ के नाम पर पंजीकृत है। सुरेश कहार के रिस्तेदार गोपाल आदित्य, जो वर्तमान में धरमजयगढ़ आदिवासी छात्रावास क्रमांक-1 के अधीक्षक एवं आजाक विभाग के मंडल संयोजक हैं, इस गाड़ी का उपयोग कर रहे थे। जानकारी के अनुसार, घटना के समय गोपाल आदित्य रायपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में ड्यूटी पर थे। उन्होंने अपनी कार बिरहोर आश्रम लक्ष्मीनगर में पदस्थ शिक्षक एवं छात्रावास अधीक्षक घनश्याम महिलाने के पास छोड़ रखी थी।

स्थानीय सूत्रों का कहना है कि घटना के दिन कार घनश्याम महिलाने के परिवार के पास थी और उनके परिवार का कोई सदस्य कार चलाना सीख रहा था। उसी लापरवाही के कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ। इस बात की पुष्टि स्थानीय लोगों ने भी की है, जिन्होंने बताया कि कार चालक ने दुर्घटना के बाद घायलों की सुध नहीं ली और मौके से भाग गया।
फिर भी आश्चर्यजनक रूप से पुलिस ने इस पूरे प्रकरण में आरोपी को “अज्ञात” बताया है। धरमजयगढ़ थाना में दर्ज एफआईआर क्रमांक 0282/2025 दिनांक 30 अक्टूबर 2025 में पुलिस ने मोटरयान अधिनियम की धारा 184 (खतरनाक ढंग से वाहन चलाना) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106(1) (लापरवाही से मृत्यु कारित करना) के तहत मामला दर्ज किया है।
कानून के जानकारों के अनुसार, बीएनएस की धारा 106(1) गैर-इरादतन हत्या के अंतर्गत नहीं आती, बल्कि यह केवल “लापरवाही” से हुई मृत्यु का मामला माना जाता है, जिसमें अधिकतम पाँच वर्ष तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है। प्रश्न यह है कि जब वाहन मालिक, उसका उपयोगकर्ता और कार किसके पास थी – सब स्पष्ट है, तो फिर आरोपी को “अज्ञात” क्यों बताया गया? क्या यह किसी प्रभावशाली सरकारी पदाधिकारी के परिवार को बचाने का प्रयास है?
धरमजयगढ़ के नागरिक संगठनों ने इस घटना को “सिस्टम की नाकामी” करार दिया है। उनका कहना है कि यदि यही वाहन किसी आम नागरिक का होता, तो आरोपी उसी दिन जेल में होता। परंतु यहां पुलिस की कलम ने तीन निर्दोषों की मौत को सिर्फ़ “लापरवाही” लिखकर दबा दिया।
तीनों मृतक साधारण परिवारों से थे -ललिता मिंज मजदूरी करती थीं, जबकि अमित किंडो और फकीर मोहन पटेल एक ठेका कंपनी में कार्यरत थे। उनके घरों में अब सिर्फ़ सन्नाटा है और परिवार न्याय की प्रतीक्षा में है।
सवाल यह नहीं कि कार किसकी थी, सवाल यह है कि न्याय किसका होगा? क्या तीन निर्दोषों की जान को केवल “गलती” कहकर भुला दिया जाएगा? या प्रशासन और पुलिस यह साबित करेंगे कि कानून सबके लिए समान है – चाहे आरोपी कोई भी क्यों न हो?
धरमजयगढ़ की यह घटना सिर्फ़ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि प्रभावशाली लोगों के रसूख और गरीबों की बेबसी के टकराव का प्रतीक बन गई है। पुलिस पर अब जनता की निगाह है- क्योंकि अगर इस बार भी “अज्ञात” का खेल चलता रहा, तो यह हादसा नहीं, न्याय की हत्या कहलाएगा।





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