“जीजा, साली और भाई-भाई… सब एक साथ पास!” : आरआई प्रमोशन में ‘महाघोटाला’ बेनकाब, पटवारी से अफसर बनने चल रहा था ‘पारिवारिक खेल’, EOW ने कसा शिकंजा…

रायपुर। सरकारी तंत्र में बैठी दीमक किस तरह पूरी व्यवस्था को चाट रही है, इसका जीता-जागता सबूत है ‘रेवेन्यू इंस्पेक्टर (RI) प्रमोशन घोटाला’। जिसे परीक्षा कहा गया, वह असल में अपनों को रेवड़ी बांटने का एक “प्रायोजित ड्रामा” था। पटवारी से आरआई बनाने के नाम पर चल रहे इस ‘महाखेल’ का ईओडब्ल्यू (EOW) ने पर्दाफाश कर दिया है।

मामले में तत्कालीन सांख्यिकी आयुक्त, सहायक आयुक्त से लेकर चपरासी तक—10 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की गई है। इनमें से दो मुख्य सूत्रधारों, वीरेंद्र जाटव और हेमंत कौशिक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, जबकि 8 की गिरफ्तारी की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
परीक्षा नहीं, ‘पारिवारिक मिलन समारोह’ था सेंटर : एजेंसी की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे किसी भी ईमानदार अभ्यर्थी का खून खौलाने के लिए काफी हैं। परीक्षा की शुचिता को ताक पर रखकर सेंटरों को ‘फैमिली रीयूनियन’ बना दिया गया:
- जीजा-साली कनेक्शन: रोल नंबर 240319, 240061 और 241785… ये कोई आम अभ्यर्थी नहीं, बल्कि जीजा, दीदी और साली की तिकड़ी थी, जिन्हें एक ही कमरे में बैठाकर पेपर हल कराया गया।
- भाई-भाई की जुगलबंदी: रोल नंबर 241377 और 241370 सगे भाई हैं। दोनों एक सेंटर पर बैठे और संयोग देखिए—दोनों को बराबर 88 अंक मिले।
- पूरा कुनबा पास: रोल नंबर 241797-98, 241975-76, 241770-71… ये सभी रिश्तेदार थे, जिन्हें एक साथ बैठाकर “नकल और अकल” का खेल खेला गया।
फिक्सिंग ऐसी कि ‘मुन्ना भाई’ भी शर्मा जाएं : सिर्फ बैठक व्यवस्था ही नहीं, पूरी प्रक्रिया ही हाईजैक थी :
- पेपर लीक : परीक्षा (7 जनवरी 2024) से पहले ही चहेते पटवारियों की टेबल पर प्रश्नपत्र पहुँच चुका था।
- सिलेबस से धोखा : पाठ्यक्रम में ‘भुइयां सॉफ्टवेयर’ का जिक्र नहीं था, फिर भी जानबूझकर इससे जुड़े 7 प्रश्न पूछे गए ताकि ‘अपने लोग’ ही जवाब दे सकें।
- ओएमआर (OMR) में मोबाइल नंबर : पहचान छिपाने के नियम होते हैं, लेकिन यहाँ ओएमआर शीट पर खुलेआम मोबाइल नंबर लिखे गए, ताकि चेक करने वाला ‘सेटिंग’ वाले अभ्यर्थी को पहचान सके।
- फेल को पास, पास को फेल : रोल नंबर 241921 पवन कुमार नेताम का नाम जबरन मैनुअल एंट्री से लिस्ट में डाला गया, जबकि हर्षवर्धन गोटे (240921) को पहले चुना और फिर बाहर कर दिया।
सिस्टम के ‘गुनेहगार’ : इन्होंने रची साजिश – ईओडब्ल्यू ने जिन 10 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है, उनमें रसूखदार अधिकारी शामिल हैं:
- अधिकारी: प्रेमलता पद्माकर (तत्कालीन आयुक्त), हरमन टोप्पो (सहायक आयुक्त), वीरेंद्र जाटव (गिरफ्तार), आशीष प्रकाश ब्रजपाल, लीला देवांगन।
- सहयोगी: रामाज्ञा यादव, ईश्वर लाल ठाकुर, हेमंत कौशिक (गिरफ्तार), जयंत यादव और राकेश डड़सेना।
अगला नंबर किसका? – जांच एजेंसी के रडार पर अब वे 18 से अधिक संदिग्ध और वे पटवारी भी हैं, जिन्होंने पैसे या रसूख के दम पर यह प्रमोशन हथियाने की कोशिश की। ईओडब्ल्यू साफ कर चुका है कि ‘नकलची पटवारियों’ पर भी गाज गिरनी तय है।
संपादकीय टिप्पणी : यह मामला सिर्फ एक परीक्षा में गड़बड़ी का नहीं, बल्कि उस भरोसे की हत्या है जो एक आम कर्मचारी सिस्टम पर करता है। अब देखना यह है कि क्या बाकी 8 आरोपी भी सलाखों के पीछे पहुँचते हैं, या फिर फाइलों में खेल जारी रहेगा?




