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दीपों से आलोकित भारत : अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ता समाज…

भारतवर्ष में वर्षभर अनेक पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं, किंतु उनमें दीपावली का स्थान सर्वाधिक विशिष्ट है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का उत्सव भी है।

कार्तिक अमावस्या की रात जब समूचा आकाश अंधकारमय होता है, तब घर-घर जलते दीपक यह सन्देश देते हैं कि  “अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक दीप की लौ उसे परास्त कर सकती है।”

लोक परंपरा के अनुसार, यह पर्व भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाकर नगर को आलोकित किया था। तब से यह पर्व सत्य, धर्म और मर्यादा की विजय का प्रतीक बन गया।

लक्ष्मी पूजन : श्रम और सदाचार से अर्जित समृद्धि का पर्व : दीपावली की संध्या माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना के लिए समर्पित होती है। माता लक्ष्मी केवल धन की अधिष्ठात्री नहीं, बल्कि शुद्धता, परिश्रम, संयम और नैतिकता से अर्जित समृद्धि की प्रतीक हैं। व्यापारी वर्ग इस दिन अपने पुराने बही-खाते बंद कर नए लेखा वर्ष की शुरुआत करता है, जिसे चोपड़ा पूजन कहा जाता है।

पंडित शास्त्री के शब्दों में –

“लक्ष्मी वहीं ठहरती हैं जहाँ श्रम का सम्मान, व्यवहार में शुद्धता और विचारों में सात्विकता होती है।”

इस दिन घरों में दीपक, पुष्प और सुगंध से पूजन किया जाता है तथा यह कामना की जाती है कि धन के साथ धर्म भी स्थिर रहे।

पर्यावरण की रक्षा : हरित दीपावली की दिशा में समाज – आधुनिक समय में दीपावली का स्वरूप कहीं-कहीं अत्यधिक भौतिकतावादी हो गया है। पटाखों के शोर, धुएँ और प्रदूषण ने इस पावन पर्व के मूल अर्थ को धुंधला कर दिया है। इसी कारण अब समाज में “हरित दीपावली” की अवधारणा तेजी से फैल रही है।

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. तिवारी का कहना है –

“दीपावली तभी सार्थक है जब वह प्रकृति के साथ तालमेल रखे। दीपक की लौ पर्यावरण के अनुकूल है, किंतु रासायनिक पटाखे वायु और ध्वनि दोनों को दूषित करते हैं।”

देश के अनेक नगरों में विद्यालयों, संस्थाओं और नागरिक समूहों ने इस वर्ष ‘एक दीप प्रकृति के नाम’ अभियान प्रारंभ किया है, जिसके अंतर्गत लोग मिट्टी के दीपक खरीदकर स्थानीय कुम्हारों को सहयोग दे रहे हैं। यह कदम न केवल पर्यावरण के हित में है, बल्कि स्थानीय हस्तशिल्प और ग्राम्य अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाता है।

सामाजिक पहल : सबके जीवन में उजाला – दीपावली का सच्चा अर्थ केवल अपने घर में दीप जलाना नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में भी प्रकाश पहुँचाना है। देशभर में कई सामाजिक संगठन निर्धन परिवारों, अनाथालयों और वृद्धाश्रमों में मिठाइयाँ, वस्त्र और दीप बाँटकर “साझा दीपावली” मना रहे हैं।

राज्य सरकार ने भी नागरिकों से अपील की है कि दीपावली का उत्सव सामाजिक समरसता, सद्भाव और भाईचारे के साथ मनाएँ।

आत्मदीप जलाने का आह्वान : आंतरिक अंधकार से मुक्ति – योग और दर्शन शास्त्रों के अनुसार, दीपावली का वास्तविक अर्थ है –
आत्मा के भीतर का दीप जलाना। वेद का यह मंत्र  “तमसो मा ज्योतिर्गमय” (अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो) दीपावली का दार्शनिक सार है।

आध्यात्मिक चिन्तक स्वामी अच्युतानंद कहते हैं –

“दीपावली का अर्थ केवल दीप जलाना नहीं, बल्कि अहंकार, लोभ और ईर्ष्या के अंधकार को मिटाना है। जब मन निर्मल होगा, तभी जीवन में वास्तविक ज्योति प्रकट होगी।”

सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से दीपावली : दीपावली भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। त्योहार के अवसर पर व्यापारिक गतिविधियाँ चरम पर होती हैं – बाजारों में रौनक, मिठाइयों की खुशबू, दीपों और रंगोलियों से सजे घर, बच्चों की हँसी और रिश्तों की गर्माहट – सब मिलकर यह अहसास कराते हैं कि यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय जीवन का उत्सव है।

बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, दीपावली का मौसम ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक आर्थिक गतिविधियों का सबसे सशक्त काल होता है। किंतु उपभोक्तावाद की अंधी दौड़ में संस्कृति की आत्मा न खो जाए — इस पर भी समाज को चिंतन करना चाहिए।

संस्कृति विशेषज्ञ प्रो. नरेश जोशी कहते हैं –

“दीपावली का सौंदर्य उसकी सादगी में है। दिखावे की चकाचौंध नहीं, बल्कि संवेदना और स्नेह ही इस पर्व की वास्तविक शक्ति है।”

प्रकाश का यह पर्व बने मानवता का प्रतीक : दीपावली केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि आत्मजागरण और समाज के पुनर्निर्माण का संदेश है। जब हम दीप जलाते हैं, तो वह केवल घर की दीवारों को नहीं, हमारे अंतःकरण को भी प्रकाशित करता है। आज जब विश्व विभाजन, हिंसा और अविश्वास से ग्रस्त है, तब भारत का यह प्रकाश पर्व पूरी मानवता को एक नई दिशा दे सकता है।

इस दीपावली पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए –

“मैं एक दीप बनूँगा – जो अंधकार नहीं, प्रकाश फैलाएगा;
द्वेष नहीं, प्रेम बढ़ाएगा;
और केवल घर नहीं, दिलों को भी रोशन करेगा।”

शुभकामनाएँ :

दीपों की यह पावन श्रृंखला आपके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सद्भाव की अखंड ज्योति जलाए रखे।
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ऋषिकेश मिश्रा, संपादक RM24

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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