
रायगढ़। जिले के तमनार ब्लॉक में जिंदल समूह द्वारा स्थापित उद्योग ने स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। सूत्रों की मानें तो इस क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि – सरपंच और पंचायत सदस्य – उद्योग के ठेकेदारी के दायरे में आते हैं। ऐसे नेताओं के लिए उद्योग विरोध की कोई जगह नहीं छोड़ता, क्योंकि विरोध का अर्थ सीधे उनके आर्थिक हितों पर चोट है।
जनप्रतिनिधियों की ‘ठेकेदारी’ का सच : सूत्रों के अनुसार, कई सरपंच सीधे जिंदल के ठेकेदारी प्रोजेक्ट में शामिल हैं। ये लोग करोड़ों की कमाई करते हैं और उद्योग की नीतियों के खिलाफ कभी खुलकर आवाज़ नहीं उठाते। कुछ मामले तो ऐसे हैं जहाँ सरपंच अपनी निजी गाड़ी उद्योग के लिए चलवाते हैं, लेबर सप्लाई करते हैं और बावजूद इसके, केवल दिखावटी विरोध के लिए जनता के सामने जिंदल के खिलाफ बयान देते हैं।
जनसुनवाई और दिखावटी विरोध : इस महीने 14 तारीख को जिंदल की जनसुनवाई होने वाली है। इस मौके पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का विरोध ‘दिखावटी’ होने की पूरी संभावना है। सूत्र बताते हैं कि जनता के सामने विरोध करना एक मजबूरी है, ताकि उद्योग के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल न उठे। लेकिन वास्तव में विरोध के स्वर उद्योग के अंदरूनी खेल और ठेकेदारी से प्रभावित हैं।
मायूसी और मोटी रकम की मांग : सूत्र बताते हैं कि कुछ सरपंच ने इस दिखावटी विरोध के पीछे मोटी रकम की भी मांग की, लेकिन मामला फिट नहीं बैठ पाने के कारण उनका उत्साह कम दिख रहा है। जनता अब इस खेल को समझ चुकी है और उनके बीच कहावत बनी हुई है – “थोड़ा बच के रहना रे बाबा, बच के रहना रे…”
तमनार ब्लॉक का यह हाल केवल उद्योग और राजनीति के आपसी गठजोड़ की कहानी नहीं है, बल्कि यह जनता की समझ और उनके अधिकारों पर छाए राजनीतिक दबाव का भी आईना है। स्थानीय नेता उद्योग की आर्थिक ताकत के सामने अपने शब्दों और काम में विरोध की आड़ में केवल दिखावा कर रहे हैं।




