बालोद

बालोद कोर्ट में, मंदबुद्धि महिला से बलात्कार के दोषी को 10 वर्ष की सजा : न्याय की त्वरित प्रक्रिया का उदाहरण

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में न्याय व्यवस्था की दृढ़ता एक बार फिर सामने आई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) ताजुद्दीन आसिफ ने मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला के साथ बलात्कार के अपराध में आरोपी सुरेश कुमार यादव को भारतीय न्याय संहिता की धारा 64(2)(झ)(ट) के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास और 500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने का प्रतीक है, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और अपराधियों के प्रति सख्ती का संदेश भी देता है। जिले की बढ़ती अपराध दर के बीच यह निर्णय कानून के राज को मजबूत करने वाला कदम साबित हुआ है।

अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक सनद कुमार श्रीवास्तव ने प्रकरण की पैरवी की, जिसकी बदौलत मजबूत साक्ष्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हो सके। घटना 14 अक्टूबर 2024 की है। पीड़िता के पति, स्वर्गीय गंजन सिंह (उम्र 50 वर्ष, निवासी वार्ड नं. 19, गांधी चौक, राजहरा), सुलभ शौचालय में देखभाल का कार्य करते थे। उस दिन दोपहर करीब 1:30 बजे शौचालय बंद करने के बाद घर लौटे तो उनकी पत्नी, जो मानसिक रूप से पीड़ित हैं, गायब थीं। आसपास की तलाश के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला। रात करीब 12 बजे पीड़िता घर पहुंचीं और बताया कि आरोपी सुरेश कुमार यादव ने उन्हें जबरन अपने घर ले जाकर शारीरिक शोषण किया। इस लिखित शिकायत पर थाना दल्ली-राजहरा में अपराध क्रमांक 280/2024 के तहत धारा 64 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई।

विवेचना में निरीक्षक सुनील तिर्की की भूमिका सराहनीय रही। उनकी सूक्ष्म जांच और त्वरित कार्यवाही ने प्रकरण को मजबूत आधार प्रदान किया। मात्र दो महीने बाद, 11 दिसंबर 2024 को अभियोग पत्र न्यायालय में पेश कर दिया गया। प्रबल साक्ष्यों— जैसे चिकित्सकीय रिपोर्ट, गवाहों के बयान और आरोपी की गिरफ्तारी के दम पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ताजुद्दीन आसिफ ने बिना किसी देरी के दोष सिद्ध किया। न्यायाधीश ताजुद्दीन आसिफ की निष्पक्षता और गहन विश्लेषण ने इस केस को मिसाल कायम करने वाला बना दिया, जो छत्तीसगढ़ की न्यायिक प्रणाली की कुशलता को रेखांकित करता है। इसी प्रकार, निरीक्षक सुनील तिर्की की मेहनत ने पुलिस विभाग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जहां हर छोटे-बड़े सुराग को नजरअंदाज नहीं किया गया।

यह सजा अपराधियों के लिए चेतावनी है कि कानून की नजर हर जगह है। बालोद जिला, जो तांदुला नदी के किनारे बसा शांतिप्रिय क्षेत्र है, अब न्याय के प्रतीक के रूप में उभर रहा है। पीड़िता के परिवार को न्याय मिलने से सामाजिक विश्वास बढ़ा है। अभियोजन पक्ष और राजहरा पुलिस की संयुक्त प्रयासों ने साबित किया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी।

Feroz Ahmed Khan

प्रभारी : छत्तीसगढ़

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!