रायगढ़ में SECL के खिलाफ जनविस्फोट! बरौद-बिजारी खदान के गेट पर ग्रामीणों का बगावत -रोजगार, मुआवजा और सम्मान की लड़ाई में छह घंटे तक ठप रही खदान…

रायगढ़। सोमवार सुबह रायगढ़ की धरती कोयले से नहीं, जन आक्रोश से धधक उठी। SECL की बरौद-बिजारी खदान के सामने ग्रामीणों ने ऐसा बवाल खड़ा किया कि पूरे क्षेत्र में कोयला परिवहन ठप पड़ गया। कांग्रेस नेता उस्मान बेग के नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने रोजगार, मुआवजा और बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर खदान गेट पर छह घंटे तक कब्जा जमाए रखा। ग्रामीणों के तेवर इतने तीखे थे कि अंततः कंपनी प्रबंधन को लिखित में झुकना पड़ा और 30 दिन में कार्रवाई का वादा करना पड़ा।
सुबह ठीक सात बजे बिजारी, पोंडा, औरामुड़ा, बरौद और पतरापाली गांवों के ग्रामीण तख्तियां लेकर खदान गेट पर पहुंच गए। जैसे ही उन्होंने “हमारी जमीन, हमारा हक” के नारे लगाए, खदान परिसर का माहौल थर्रा उठा। कंपनी के ट्रक, डंपर और मशीनें सब थम गईं। गेट के सामने बैठे ग्रामीणों ने एलान किया –
“अब खदान नहीं, इंसाफ चलेगा। जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी, कोई गाड़ी यहां से नहीं हिलेगी!”
ग्रामीणों ने 8 सूत्रीय मांगपत्र खदान प्रबंधन को सौंपा। इसमें औरामुड़ा गांव में बोरवेल, पानी टंकी, तालाब पचरीकरण, सड़क और लाइट, मुड़ादीपा मोहल्ले में मरम्मत कार्य, और गांव के स्कूल-आंगनबाड़ी में बिजली सुविधा की तत्काल व्यवस्था की मांग शामिल थी। लेकिन असली गुस्सा था रोजगार और अन्यायपूर्ण बर्खास्तगी को लेकर। ग्रामीणों ने बताया कि फगुरम और औरामुड़ा बस्ती के दुर्गेश कुमार, लोकनाथ, भिखारीलाल, चीरू सिंह, घनश्याम, बेवा मिलन, जगन्नाथ बैरागी और गरजू को SECL ने मनमाने तरीके से नौकरी से निकाल दिया। एक मजदूर की आंखों में आंसू थे, उसने कहा –
“कंपनी ने हमारे हाथ से कोयला छीन लिया, अब हमारी रोटी भी छीन ली है। पेट काटकर भी कंपनी के लिए काम किया, फिर भी निकाल दिया गया।”
ग्रामीणों ने बताया कि खदान के विस्फोट और कंपन से उनके घरों की दीवारें फट गईं, कुएं सूख गए, लेकिन SECL प्रशासन न compensation दे रहा है, न राहत। एक महिला प्रदर्शनकारी ने फटकारते हुए कहा –
“हमारे बच्चे धूल में बड़े हो रहे हैं, लेकिन कंपनी के अफसर एयरकंडीशन में बैठकर हमें CSR का सपना दिखा रहे हैं। अब और नहीं।”
पुलिस और खदान प्रबंधन के पसीने छूटे : प्रदर्शन की खबर मिलते ही पुलिस बल और SECL अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों की भीड़ के आगे उनकी एक नहीं चली। माइक से लगातार अपील होती रही – “शांत रहें, बातचीत करेंगे।” लेकिन उस्मान बेग ने साफ कहा –
“हम अब सिर्फ बात नहीं, लिखित गारंटी चाहते हैं। वरना गेट नहीं खुलेगा।”
काफी हंगामे और दबाव के बाद SECL प्रबंधन ने आखिरकार लिखित में 30 दिन के भीतर कार्रवाई का भरोसा दिया। तभी जाकर आंदोलन अस्थायी रूप से स्थगित हुआ।
उस्मान बेग ने दी चेतावनी: “30 दिन में वादा पूरा नहीं हुआ, तो जीएम ऑफिस घेराव तय” कांग्रेस नेता बेग ने मीडिया से कहा –
“SECL के अफसर जनता को मूर्ख समझना छोड़ दें। अगर 30 दिन में मांगें नहीं मानी गईं, तो अगला कदम रायगढ़ जीएम ऑफिस का घेराव होगा। तब कोई गेट नहीं, पूरा सिस्टम हिलेगा।”
धरती के नीचे कोयला, ऊपर धधकता गुस्सा : बरौद-बिजारी क्षेत्र की जनता सालों से SECL की खदानों से प्रदूषण, विस्थापन और बेरोजगारी झेल रही है। जमीन देने वालों को न मुआवजा मिला, न पुनर्वास, और जो रोजगार के नाम पर उम्मीद लगाए बैठे थे, उन्हें भी कंपनी ने ठेका व्यवस्था में धकेल दिया। गांवों में सड़कें टूटीं, टंकियां सूखीं और हवा में कोयले की राख तैरती रही। लेकिन अब गांव ने तय कर लिया है –
“अगर कंपनी ने वादे नहीं निभाए, तो यह धरना आखिरी नहीं, शुरुआत होगी।”
अब जनता ने आवाज बुलंद की है – “कोयला हमारा, फैसला भी हमारा!”




