बालोद में ट्रांसजेंडर (किन्नर) पर बर्बर हमला : युवकों ने छेड़छाड़ कर पीटा, प्रशासन से सुरक्षा की गुहार

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। जिले में ट्रांसजेंडर समुदाय पर बढ़ते अत्याचार ने समाज को शर्मसार कर दिया है। 27 अक्टूबर को बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक के ग्राम ठेमाबुजुर्ग में एक ट्रांसजेंडर (किन्नर) और उसके दोस्त पर गांव के लड़कों ने मारपीट की, छेड़छाड़ की। यह घटना न केवल व्यक्तिगत हिंसा का प्रतीक है, बल्कि ट्रांसजेंडर वर्ग की सामाजिक स्वीकृति की कमी को उजागर करती है। पीड़िता ने डौंडी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन सवाल उठता है— क्या प्रशासन ट्रांसजेंडरों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगा? आइए, इस दर्दनाक घटना की पूरी कहानी जानें।
रायपुर के सरोना इलाके में गरिमा गृह में रहने वाली आइशा मूल रूप से बालोद जिले के डौंडी ब्लॉक के ठेमाबुजुर्ग गांव की रहने वाली हैं। 12वीं तक गांव में ही पढ़ाई करने के बाद, समाज के तानों और अलगाव से तंग आकर वर्ष 2021 में उन्होंने अपना पैतृक घर छोड़ दिया। संस्था गरिमा गृह के सहयोग से वे अब बालको (कोरबा) में सुरक्षा गार्ड का काम कर रही हैं, जहां अपनी मेहनत से सम्मान कमाती हैं। साल में एक बार परिवार से मिलने आने वाली आइशा इस बार दोस्त पवित्रा के साथ मेला घूमने आईं। लेकिन गांव के कुछ संकुचित सोच के युवकों ने उनकी खुशी छीन ली।
बीते 27 अक्टूबर को मेला-मंडाई में घूमते हुए मंदिर के पास कुछ युवकों ने आइशा पर भद्दे कमेंट किए व गंदे इशारे किए। दोनों ने इसे नजरअंदाज कर आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन शाम करीब 6:50 बजे दशराज दुकान के पास गांव के जीवन नेताम, गोपी नेताम और महेश पटेल ने उनका रास्ता रोका। उन्होंने अपमानजनक शब्दों से ललकारा, “छक्का, यहां क्या करने आई हो?” विरोध करने पर तीनों ने अश्लील गालियां बरसाईं और लात-घूंसे से हमला बोल दिया। आइशा के सिर पर चोट लगी, जबकि पवित्रा के माथे पर गंभीर जख्म आया।

घटना की सूचना मिलते ही आइशा के परिजन पहुंचे और दोनों को सुरक्षित घर ले गए। डौंडी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने बीएनएस की धाराओं 115(2) (मारपीट), 296 (अश्लील कृत्य), 3(5) (सामूहिक अपराध) और 351(3) (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच जारी है, लेकिन आइशा का दर्द गहरा है। वे कहती हैं, “मैं थर्ड जेंडर (किन्नर) हूं, इसमें मेरा क्या कसूर? संविधान में हमारे अधिकार लिखे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में हम सम्मान के लिए तरसते हैं।”
ट्रांसजेंडर समुदाय लंबे समय से सामाजिक भेदभाव, हिंसा और रोजगार की चुनौतियों से जूझ रहा है। आइशा जैसे लोग गांवों में तिरस्कार झेलते हैं, जिससे वे शहरों की ओर पलायन को मजबूर होते हैं। उन्हें गरिमा गृह जैसी संस्थाएं सहारा देती हैं, लेकिन जागरूकता की कमी से अपराध बढ़ते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को ट्रांसजेंडर नीति को सख्ती से लागू करना चाहिए— जागरूकता अभियान चलाने, स्कूलों में समावेशी शिक्षा देने और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने की जरूरत है।
यह घटना बालोद प्रशासन के लिए आह्वान है। ट्रांसजेंडरों (किन्नरों) की सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना समावेशी समाज का सपना अधूरा रहेगा। आइशा की आवाज दबे-कुचले वर्ग की पुकार है— अब समय है कि सरकार कार्यवाही करे, ताकि हर नागरिक सम्मान से जी सके।
शिकायत के आधार पर मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन युवकों पर बीएनएस की धारा 115(2), 296, 3(5) और 351(3) के तहत मामला दर्ज किया गया है। आगे की कार्यवाही कर जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित है।
उमा ठाकुर
थाना प्रभारी, डौंडी




