रायगढ़

घरघोड़ा बाजार में जाम, पटाखा दुकानों में गाइडलाइंस शून्य ; त्योहारी भीड़ में प्रशासन की चौकसी सिर्फ दिखावा!…

घरघोड़ा। दिवाली से पहले पुलिस प्रशासन की “कड़ी चौकसी” के दावे घरघोड़ा बाजार में पूरी तरह फेल साबित हो रहे हैं। जयस्तंभ चौक से लेकर धरमजयगढ़ और लैलूंगा रोड तक घंटों तक ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। सड़क किनारे बेतरतीब खड़ी गाड़ियां, परेशान लोग और नदारद पुलिस- पूरा बाजार अव्यवस्था की तस्वीर पेश कर रहा है।

धनतेरस के दिन भी सुबह से ही कई बार जाम लगने की स्थिति बनी रही। लोग अपनी गाड़ियों से उतरकर खुद रास्ता साफ करते दिखाई दिए। थाना घरघोड़ा के सामने तक अव्यवस्था फैली रही, लेकिन पुलिस की सक्रियता महज़ कुछ मिनटों की औपचारिक गश्त तक सिमटी रही।

पटाखा दुकानों में खुलेआम लापरवाही, किसी बड़े हादसे का इंतज़ार? : त्योहारी बाजार में सबसे चिंताजनक हालात पटाखा दुकानों के हैं। अस्थायी तंबुओं और प्लास्टिक की छतों के नीचे खुलेआम पटाखों की बिक्री हो रही है। न सुरक्षा दूरी का पालन, न अग्निशमन के इंतज़ाम और न ही कोई फायर एक्सटिंग्विशर मौजूद है। ऐसे ज्वलनशील माहौल में आग लगने की स्थिति में बड़ा हादसा टलना मुश्किल है, लेकिन जिम्मेदार विभाग जैसे आंखें मूंदे बैठे हैं।

नगर प्रशासन और पुलिस की ओर से न तो कोई सख्त कार्रवाई की जा रही है, न ही सुरक्षा मानकों की जांच। जिन दुकानों को लाइसेंस और सेफ्टी गाइडलाइंस के तहत संचालित होना चाहिए, वहां नियमों का नामोनिशान तक नहीं है। बाजार में मौजूद नागरिकों का कहना है  “एक चिंगारी पूरे बाजार को राख में बदल सकती है।”

प्रशासनिक दावे हवा में, जनता बेहाल : स्थानीय लोगों का कहना है कि त्योहारों पर प्रशासन सिर्फ बयानबाज़ी और औपचारिक दिखावे तक सीमित रहता है। बार-बार लगने वाले जाम से स्कूली वाहनों, एंबुलेंस और आम नागरिकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं पटाखा दुकानों में संभावित हादसों को लेकर लोगों में डर का माहौल है।

लोगों का सवाल है – क्या पुलिस की जिम्मेदारी सिर्फ कागज़ों तक सीमित है? क्या हर बार हादसे के बाद ही जागेगा प्रशासन?

घरघोड़ा का त्योहारी बाजार आज रौनक से ज़्यादा अव्यवस्था, लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन गया है।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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