कैबिनेट बैठक से एनएचएम कर्मचारियों की उम्मीदें टिकीं, बर्खास्त 25 कर्मचारियों की बहाली समेत 6 मांगों पर अब भी आदेश लंबित…

रायगढ़। त्यौहारों की रौनक जहाँ पूरे प्रदेश में परवान पर है, वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के 16,500 कर्मचारी आज भी मायूस हैं। कारण साफ है- सरकार से हुए लिखित व मौखिक आश्वासनों के बावजूद 6 प्रमुख मांगों पर अब तक आदेश जारी नहीं हुआ है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने खुद सार्वजनिक रूप से कहा था “आप सभी हमारे बच्चे हैं, हमारे सुशासन में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा”, तो फिर क्यों प्रदेश अध्यक्ष सहित 25 बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली और 33 दिन की हड़ताल अवधि का वेतन अब तक अटका हुआ है?
बोनस की जगह सजा : त्यौहारी मौसम में जहाँ अन्य विभागों व संस्थानों के कर्मचारियों को बोनस की सौगात मिल रही है, वहीं एनएचएम कर्मचारियों पर सरकार ने उल्टा 33 दिन का वेतन काटने का फरमान सुना दिया। नवरात्र, दशहरा और दीपावली जैसे बड़े पर्वों से पहले यह फैसला कर्मचारियों के जख्म पर नमक छिड़कने जैसा साबित हो रहा है।
हड़ताल का इतिहास: न्यायसंगत मांगें, फिर भी दंड : 18 अगस्त से शुरू हुई 33 दिन की हड़ताल केवल वेतन या भत्तों की मांग तक सीमित नहीं थी, बल्कि स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने वाली संरचनात्मक मांगों पर आधारित थी—
- राष्ट्रीय शिक्षा मिशन की तरह स्वास्थ्य मिशन का स्वास्थ्य विभाग में संविलियन
- कर्मचारियों का नियमितीकरण
- ग्रेड पे लागू करना
- 2023 से लंबित 27% वेतन वृद्धि
- सीआर में पारदर्शिता
- कैशलेस चिकित्सा बीमा और पब्लिक हेल्थ कैडर का निर्माण जैसी मांगें
यानी यह हड़ताल सिर्फ व्यक्तिगत हितों के लिए नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र को सशक्त करने के लिए थी।
सरकार की दोहरी नीति पर सवाल : कर्मचारी संघ का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और मुख्यमंत्री साय से हुई चर्चा के बाद आंदोलन स्थगित किया गया था। मंत्री ने जिलों में की गई समस्त कार्रवाई शून्य करने का आदेश दिया और मुख्यमंत्री ने खुद आश्वासन दिया था कि कैबिनेट की अगली बैठक में बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली का निर्णय होगा।
अब जब कैबिनेट बैठक कल होने जा रही है, तो 16,500 परिवार टकटकी लगाए बैठे हैं कि सरकार अपने वादे पर खरी उतरती है या एक बार फिर झूठे आश्वासनों का सिलसिला दोहराया जाएगा।
“त्यौहार मनाने का हक हमें भी” – कर्मचारी संघ : छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने कहा—
“त्यौहारों पर पूरा प्रदेश खुशियाँ मना रहा है, लेकिन 16,500 परिवार मायूस हैं। सरकार ने हमारी जायज मांगें मानीं, लेकिन आदेश जारी नहीं किया। बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली और हड़ताल अवधि का वेतन लौटाना सिर्फ प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि 16,500 परिवारों के सम्मान और जीने के अधिकार से जुड़ा प्रश्न है। हमें विश्वास है कि आज की कैबिनेट में मुख्यमंत्री जी अपने वादे को पूरा करेंगे।”
बड़ा सवाल : क्या विष्णु देव साय की सरकार अपने ही आश्वासन पर खरी उतरेगी और 16,500 परिवारों को त्यौहार से पहले राहत मिलेगी? या फिर एनएचएम कर्मचारियों को सुशासन की बजाय मायूसी का ही गिफ्ट मिलेगा?




