जमीन की रजिस्ट्री पर खून – बड़े बेटे ने डंडे से पीट-पीटकर पिता की कर दी हत्या , भागते वक्त खुद हुआ हादसे का शिकार…

सरगुजा। संपत्ति के लालच ने एक बेटे को ऐसा हैवान बना दिया कि उसने अपने ही पिता को डंडे से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। हृदयविदारक यह घटना सरगुजा जिले के सीतापुर थाना क्षेत्र के ग्राम गुतुरमा की है, जहां 80 वर्षीय रूपधर राम सतनामी की हत्या उनके बड़े बेटे नेतराम सतनामी ने कर दी। बुजुर्ग ने कुछ दिन पहले अपनी जमीन का एक हिस्सा छोटी बहू के नाम रजिस्ट्री किया था, जिससे नाराज होकर बड़े बेटे ने यह निर्मम वारदात अंजाम दी।
छोटी बहू के नाम रजिस्ट्री से भड़का बड़ा बेटा : ग्राम गुतुरमा निवासी रूपधर राम सतनामी (80 वर्ष) अपने छोटे बेटे और बहुओं के साथ गांव में रहते थे। उनका बड़ा बेटा नेतराम सतनामी बैकुंठपुर में नौकरी करता है और अपने परिवार सहित वहीं रहता था। बताया जा रहा है कि रूपधर राम ने अपनी जमीन का कुछ हिस्सा अपनी छोटी बहू के नाम से रजिस्ट्री कर दिया था। इसी बात को लेकर नेतराम काफी दिनों से नाराज चल रहा था।
10 नवंबर को वह बैकुंठपुर से अपने गृह ग्राम गुतुरमा पहुंचा। शाम के समय पिता से जमीन को लेकर विवाद हुआ, जो देखते ही देखते हिंसक झगड़े में बदल गया।
डंडे से सिर पर कई वार, मौके पर ही पिता की मौत : विवाद के दौरान नेतराम ने डंडे से अपने पिता के सिर पर लगातार कई वार किए, जिससे रूपधर राम की मौके पर ही मृत्यु हो गई। हत्या के बाद आरोपी बाइक लेकर गांव से भाग निकला, लेकिन भागते समय ग्राम सुर के पास उसकी बाइक अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
इस हादसे में नेतराम को गंभीर चोटें आईं। आसपास के लोगों ने उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सीतापुर पहुंचाया, जहां उसका इलाज जारी है।
घटना स्थल पर पहुंची पुलिस, शव भेजा गया पोस्टमॉर्टम के लिए : घटना की सूचना मिलते ही सीतापुर थाना पुलिस देर शाम मौके पर पहुंची। रूपधर राम का शव घर के बाहर सड़क किनारे पड़ा मिला। पुलिस ने पंचनामा कार्रवाई कर शव को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया है।आज शव का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा। पुलिस के अनुसार, आरोपी के स्वस्थ होने के बाद उससे पूछताछ की जाएगी। हत्या में प्रयुक्त डंडा बरामद कर लिया गया है।
गांव में पसरा सन्नाटा – ‘बाप को मारने तक उतर आया बेटा’ : ग्राम गुतुरमा में इस वारदात से दहशत और सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि रूपधर राम शांत और मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्होंने जीवनभर परिवार के लिए मेहनत की, लेकिन जमीन के एक टुकड़े के लिए बेटे ने पिता का ही खून बहा दिया।
सरगुजा की यह घटना रिश्तों की उस विडंबना को उजागर करती है, जहाँ लालच और संपत्ति की चाह इंसान को इतना अंधा बना देती है कि वह अपने जन्मदाता तक की हत्या करने से नहीं हिचकता।



