पुलिस हिरासत में मौत: 50 लाख की चोरी के आरोपी की थाने में जान गई, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप – बलरामपुर पुलिस पर फिर उठे सवाल…

बलरामपुर। 50 लाख की चोरी के एक आरोपी की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत ने पूरे जिले में सनसनी मचा दी है। मामला कोतवाली थाना क्षेत्र का है, जहां पूछताछ के दौरान 19 वर्षीय उमेश सिंह की मौत हो गई। पुलिस इसे बीमारी से हुई मौत बता रही है, जबकि परिवार और ग्रामीणों का आरोप है कि उमेश की मौत बेरहमी से पिटाई के कारण हुई है।
6 नवंबर को हिरासत, 9 नवंबर को मौत : 6 नवंबर को पुलिस ने धनंजय ज्वेलर्स में हुई 50 लाख की बड़ी चोरी के सिलसिले में 8 आरोपियों को हिरासत में लिया था। इन्हीं में से एक था बतौली थाना क्षेत्र के बैलकोटा निवासी उमेश सिंह (19)।
तीन दिन की पूछताछ के दौरान उमेश की हालत बिगड़ी और 9 नवंबर की सुबह 4.30 बजे जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस का दावा है कि उमेश को सुबह 4.20 पर भर्ती कराया गया था और 4.45 पर उसकी मौत हो गई।
पुलिस की कहानी – “बीमार था, सिकलसेल से पीड़ित था” : ASP विश्वदीपक त्रिपाठी का कहना है कि उमेश पहले से बीमार था।
“वह सिकलसेल का मरीज था। पिछले एक साल में 10 बार अस्पताल में भर्ती हुआ। दो बार उसे ब्लड चढ़ाया गया था। तबीयत बिगड़ते ही अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।”
पुलिस के मुताबिक उमेश की तबीयत थाने आने से पहले ही खराब थी।
परिजनों का आरोप – “थाने में पीट-पीटकर मारा गया” : मृतक की मां का कहना है कि बेटे को कोई बीमारी नहीं थी।
“पुलिस वाले उसे मारते-मारते लाए थे। मुंह से खून निकल रहा था। सुबह कहा गया कि वह बीमार है, थोड़ी देर में बताया कि मर गया।”
बहन का कहना है,
“भाई से मिलने नहीं दिया गया। दूसरे दिन देखा तो वह ठीक से चल नहीं पा रहा था। बाद में हॉस्पिटल में भर्ती की खबर दी, फिर सीधा मौत की सूचना।”
50 लाख की चोरी का मामला, 8 गिरफ्तार – एक की जान गई : 30-31 अक्टूबर की रात बलरामपुर के धनंजय ज्वेलर्स से 3.50 लाख नकद और लगभग 50 लाख की ज्वेलरी चोरी हुई थी। पुलिस ने तकनीकी निगरानी और CCTV के आधार पर सीतापुर क्षेत्र से शिव कुमार लांजाराम (18), सूरज सिंह (19), वेद सिंह (21), सूर्या गिरी (19) को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि चोरी के गहने रोशन सोनी (24), संचालक स्वर्ण महल ज्वेलर्स, अंबिकापुर ने खरीदे थे। टीम ने सभी 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर माल बरामद किया, जबकि एक आरोपी अभी भी फरार है। इसी दौरान पूछताछ के लिए पकड़ा गया उमेश सिंह, थाने से जिंदा वापस नहीं लौटा।
थाने में मौत से हड़कंप, पुराना इतिहास भी दागदार : थाने में हुई यह मौत बलरामपुर पुलिस के लिए कोई पहली घटना नहीं है। एक साल पहले भी पुलिस कस्टडी में एक स्वास्थ्यकर्मी की मौत के बाद बवाल मच गया था, भीड़ ने थाने पर हमला तक कर दिया था। अब फिर से वही हालात बनने लगे हैं – इलाके में गुस्सा और अविश्वास गहराता जा रहा है।
जनता के सवाल – क्या बीमारी का बहाना पुलिस की ढाल है?
- अगर आरोपी बीमार था, तो उसे मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना हिरासत में क्यों लिया गया?
- पुलिस पूछताछ के दौरान मेडिकल टीम की निगरानी क्यों नहीं थी?
- अगर सिकलसेल से पीड़ित था, तो थाने की चारदीवारी में क्यों रखा गया?
- और अगर नहीं था, तो क्या पुलिस अब पिटाई को बीमारी की आड़ में छिपा रही है?
निष्पक्ष जांच की मांग, थाने की सुरक्षा बढ़ाई गई : मामले ने तूल पकड़ लिया है। थाने की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। परिजन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की सीबीआई या मजिस्ट्रियल जांच की मांग कर रहे हैं। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने इसे “कस्टोडियल मर्डर” बताते हुए SP वैभव बैंकर और ASP विश्वदीपक त्रिपाठी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
यह सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि पुलिसिया पूछताछ की निर्दय परंपरा का सबूत है। जब आरोपियों के गुनाह अदालत तय करे उससे पहले अगर पुलिस सजा देने लगे — तो कानून सिर्फ किताबों में रह जाता है।




