“दंड से न्याय की ओर” – नए आपराधिक कानूनों पर जशपुर पुलिस की जीवंत प्रस्तुति बनी राज्योत्सव की शान…

रायपुर, 05 नवम्बर 2025। छत्तीसगढ़ राज्य के 25वें स्थापना दिवस पर नया रायपुर में आयोजित राज्योत्सव में पुलिस विभाग द्वारा प्रस्तुत नाट्य मंचन “दंड से न्याय की ओर” ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। यह नाटक नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर आधारित है, जिसमें अपराध से लेकर न्याय तक की पूरी प्रक्रिया को प्रभावशाली, शिक्षाप्रद और भावनात्मक ढंग से मंचित किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने स्वयं इस नाट्य प्रस्तुति का अवलोकन किया और जशपुर पुलिस की इस अनूठी पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “ऐसी प्रस्तुतियाँ न केवल जनजागरण का माध्यम बनती हैं, बल्कि नागरिकों को नए कानूनों की जानकारी सरल और रोचक ढंग से प्रदान करती हैं।”
नया कानून, नई सोच – ‘दंड’ से ‘न्याय’ की दिशा में : इस नाटक का निर्देशन जशपुर एसएसपी श्री शशि मोहन सिंह ने किया है, जबकि सहायक निर्देशन की ज़िम्मेदारी प्रसिद्ध नाट्य कलाकार डॉ. आनंद पांडेय ने निभाई। नाटक को सीआईडी शाखा, पुलिस मुख्यालय रायपुर द्वारा तैयार कराया गया है। इसकी परिकल्पना पुलिस महानिदेशक श्री अरुण देव गौतम की रही, जिसे आईजी श्री ध्रुव गुप्ता के मार्गदर्शन में साकार किया गया।
आधे घंटे की यह प्रस्तुति राज्योत्सव के पुलिस पंडाल में प्रतिदिन आयोजित की जा रही है और पूरे राज्योत्सव की सबसे आकर्षक गतिविधियों में से एक बन गई है।
एफआईआर से अदालत तक – न्याय की पूरी यात्रा मंच पर : 10 भागों में विभाजित इस नाटक की शुरुआत एक परिवार में डकैती और हत्या की घटना से होती है। इसके बाद एफआईआर दर्ज करने से लेकर अदालत के अंतिम निर्णय तक की पूरी न्यायिक प्रक्रिया को जीवंत रूप में प्रदर्शित किया गया है। इस प्रस्तुति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें अभिनय करने वाले सभी 30 पात्र वास्तविक पुलिस अधिकारी और कर्मचारी हैं, कोई थानेदार की भूमिका में, तो कोई अधिवक्ता, फॉरेंसिक अधिकारी या न्यायाधीश के रूप में नज़र आया।
तकनीक के सहारे तेज और पारदर्शी न्याय : नाटक में दिखाया गया कि कैसे नए कानूनों के तहत पुलिस जांच अब अधिक वैज्ञानिक, तकनीकी और पारदर्शी बन गई है। फिंगरप्रिंट, डीएनए टेस्ट, वॉइस सैंपल, ई-साक्ष्य ऐप, CCTNS सिस्टम, NAFIS और क्राइम मल्टी एजेंसी सेंटर जैसे आधुनिक साधनों के प्रयोग को दर्शाया गया है।
इंस्पेक्टर किरण ठाकुर की भूमिका में पुलिस मुख्यालय रायपुर की ज्योति पांडेय और एएसआई संतराम साहू की भूमिका में संदीप देशमुख ने बेहतरीन अभिनय कर दर्शकों का दिल जीत लिया।
70 दिनों में पुलिस जांच पूर्ण कर चालान प्रस्तुत करती है और 90 दिनों के भीतर न्यायालय द्वारा निर्णय दिए जाने की प्रक्रिया को मंच पर दिखाया गया, जिससे जनता को नए कानून की गति और न्यायपरकता का सीधा अनुभव मिला।
रचनात्मक पुलिसिंग की मिसाल : इस रचनात्मक पहल में सीआईडी डीआईजी श्री प्रखर पांडेय, एआईजी श्री विवेक शुक्ला, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती वर्षा मिश्रा, और डीएसपी डॉ. प्रमिला का विशेष योगदान रहा।
एसएसपी शशि मोहन सिंह ने कहा – “हमारे नाटक ‘दंड से न्याय की ओर’ को जनता का भरपूर स्नेह मिल रहा है। दर्शक न केवल प्रस्तुति का आनंद ले रहे हैं बल्कि संवाद सत्र में यह भी कह रहे हैं कि इस नाटक ने नए कानूनों को समझना बेहद आसान बना दिया है। यह निश्चित रूप से जन-जागरण का सशक्त माध्यम बना है।”
संवेदनशीलता और न्याय की ओर बढ़ता नया भारत : “दंड से न्याय की ओर” नाटक ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य केवल दंड नहीं, बल्कि त्वरित, पारदर्शी और जनहितैषी न्याय है। छत्तीसगढ़ पुलिस की यह प्रस्तुति इस बात का प्रमाण है कि जब कानून और संवेदना साथ चलते हैं, तो न्याय न केवल सशक्त बल्कि मानवीय भी बनता है।



