रायपुर

चक्रवात ‘मोन्था’ से तबाही : किसानों की मेहनत पर पानी फिरा, पुलिया टूटी, खेतों में सड़ी फसलें – अक्टूबर में 59% ज्यादा बारिश…

रायपुर। चक्रवात मोन्था के प्रभाव से छत्तीसगढ़ के कई जिलों में हुई बेमौसम बारिश ने तबाही मचा दी है। रायपुर, कवर्धा, बिलासपुर, रायगढ़ और सरगुजा समेत पूरे प्रदेश में गुरुवार से लगातार बारिश का दौर चला। शुक्रवार को कवर्धा में पानी बरसते ही खेतों में पहले से कटी हुई फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। नुकसान देखकर एक किसान खेत में ही टूट पड़ा और बेहोश होकर गिर गया – यह दृश्य किसानों की पीड़ा को बयां करने के लिए काफी था।

मौसम हुआ सामान्य, पर जख्म गहरे छोड़ गया ‘मोन्था’ : मौसम विभाग के अनुसार, अब चक्रवात मोन्था कमजोर पड़ गया है और प्रदेश में बेमौसम बारिश का सिलसिला थम जाएगा। फिलहाल किसी जिले के लिए कोई नया अलर्ट जारी नहीं किया गया है। पिछले 24 घंटों में साल्हेवारा में सबसे अधिक 80 मिमी वर्षा दर्ज की गई। वहीं बिलासपुर का अधिकतम तापमान 30.6°C और पेंड्रा का न्यूनतम तापमान 19.6°C दर्ज किया गया।

बस्तर में किसानों की तबाही, खेतों में सड़ गई मेहनत की फसलें :
दक्षिण छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में भी बारिश ने किसानों की महीनों की मेहनत मिट्टी में मिला दी। कहीं खड़ी धान की फसल झुक गई, तो कहीं कटे हुए धान के ढेर और बोरियां खेतों में भीगकर सड़ने लगीं।
कोंडागांव जिले के ग्राम आदनार में बारिश ने ‘बड़को नाला पुलिया’ को निगल लिया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी यह पुलिया लिंगोंपथ–मर्दापाल–भाटपाल–नारायणपुर मार्ग को जोड़ती है। लगातार पानी के दबाव से पुलिया का एक हिस्सा धंस गया और थोड़ी ही देर में बाकी ढांचा भी बह गया। सौभाग्य से उस वक्त कोई वाहन पुल पार नहीं कर रहा था, वरना बड़ी जनहानि हो सकती थी।

अक्टूबर में अब तक 59% ज्यादा बारिश – किसानों पर दोहरी मार : मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल मानसून 15 अक्टूबर तक विदा हो गया था, लेकिन मोन्था के कारण अक्टूबर में भी बारिश का सिलसिला जारी रहा। 1 से 26 अक्टूबर तक प्रदेश में औसतन 89.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जबकि सामान्य औसत 56.2 मिमी होती है यानी इस बार 59 फीसदी अधिक बारिश हुई है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बेमौसम बारिश से फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। जहां धान की बालियाँ झुककर पानी में गल रही हैं, वहीं टाऊ और मक्का जैसी फसलें खेतों में नष्ट हो चुकी हैं। भंडारण और परिवहन में भी कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं।

सरकार से राहत की उम्मीद : प्रदेश के विभिन्न जिलों के किसान अब प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। कृषि विभाग ने फसल नुकसान का सर्वे शुरू कर दिया है। हालांकि राहत के नाम पर अभी तक किसी जिले में मुआवजे की घोषणा नहीं हुई है।

“चक्रवात तो गुजर गया, पर किसानों के आँगन में अब भी उसकी तबाही की गूंज बाकी है।” 🌾

Ambika Sao

सह-संपादक : छत्तीसगढ़

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