खरसिया में बड़ा धान घोटाला बेनकाब – 800 बोरी पुराना धान ट्रेलर समेत जब्त, राइस मिलों से जुड़ रही कड़ी…

रायगढ़। धान खरीदी शुरू होने से पहले ही खरसिया में अवैध धान की बड़ी खेप पकड़ाकर प्रशासन में हड़कंप मच गया है। बानीपाथर रेलवे ओवरब्रिज के पास एक ट्रेलर (क्रमांक CG 15 DF 2486) में 800 बोरी धान लोड मिला, जिसे नायब तहसीलदार काजल अग्रवाल और मंडी सचिव प्रशांत कुलमित्र की संयुक्त कार्रवाई में जब्त किया गया।
वाहन चालक धान के संबंध में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। जांच में खुलासा हुआ कि यह धान मकड़ी गांव निवासी विद्यानंद गबेल का बताया जा रहा है, जिसे जय भोले ट्रेडर्स नामक फर्म को बेचा गया था। प्रशासन को शक है कि यह रबी सीजन का पुराना धान है, जिसे अब नए उपार्जन सीजन में रिसायक्लिंग के लिए तैयार किया जा रहा था।
धान खरीदी शुरू होने से पहले ही “रिसायक्लिंग रैकेट” सक्रिय : धान उपार्जन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही जिले में अवैध स्टॉक और पुराने धान के रिसायक्लिंग का खेल शुरू हो गया है। प्रशासन का दावा है कि निगरानी सख्त है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, बिचौलिए और कुछ राइस मिल संचालक मिलकर पुराने धान को नए उपार्जन केंद्रों में खपाने की साजिश रच रहे हैं।
इस अवैध धंधे में कुछ समितियों के प्रबंधक और ऑपरेटर भी शामिल बताए जाते हैं, जो राइस मिलों से पुराना धान लेकर उसे “रिक्त रकबे” (जहां पिछले साल धान खरीदी नहीं हुई थी) में चुपचाप खपाते हैं। बदले में नया धान उसी समिति से उपार्जित दिखाकर मोटा मुनाफा कमाया जाता है।
कई सवालों के घेरे में “जय भोले ट्रेडर्स” : जब धान की कटाई गर्मी में पूरी हो चुकी थी, तो इतने महीनों बाद वही धान कैसे बेचा जा रहा है – यह सवाल अब प्रशासन को परेशान कर रहा है। जय भोले ट्रेडर्स की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।
प्रशासन अलर्ट, लेकिन बिचौलिए और चालाक : अवैध धान के इस जाल को तोड़ने के लिए प्रशासन लगातार जांच अभियान चला रहा है, मगर बिचौलिए और फर्जी व्यापारी उससे भी ज्यादा सतर्क और तकनीकी रूप से चालाक साबित हो रहे हैं। पुराने धान को नए खरीदी सत्र में घुसाने का यह खेल करोड़ों की हेराफेरी की आशंका पैदा कर रहा है।
अब सवाल यह है…
- क्या प्रशासन बड़े नेटवर्क तक पहुंच पाएगा?
- क्या जय भोले ट्रेडर्स और संबंधित राइस मिलों पर भी एफआईआर होगी?
- या फिर यह मामला भी “जांच जारी है” कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
खरसिया की इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि धान खरीदी का सीजन अभी शुरू भी नहीं हुआ और धान माफिया पहले से मैदान में उतर चुका है। सवाल यह है कि क्या इस बार प्रशासन इस चक्रव्यूह को तोड़ पाएगा या फिर हर साल की तरह “पुराने धान की नई फसल” सरकारी रिकॉर्ड में उगती रहेगी।




