जशपुर में भीषण सड़क हादसा : कपड़ा कारोबारी के बेटे चेतन जैन की मौके पर मौत – तीन दोस्त गंभीर, जिला अस्पताल की लापरवाही पर फूटा जनाक्रोश…

जशपुरनगर। शनिवार दोपहर जशपुरनगर में हुई दर्दनाक सड़क दुर्घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। स्थानीय कपड़ा कारोबारी कनक चिंडालिया के छोटे बेटे चेतन जैन (28 वर्ष) की कार अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई, जिससे चेतन की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि साथ में सवार तीन दोस्त – प्रांजल दास, प्रिंशु ठाकुर और हिमांशु डनसेना – गंभीर रूप से घायल हो गए।
टक्कर इतनी भीषण कि कार के परखच्चे उड़ गए : यह हादसा जशपुर मुख्यालय से लगे बालाछापर मार्ग पर हुआ। चेतन जैन अपनी टाटा हैरियर (JH 01 FL 1818) स्वयं चला रहे थे। तेज रफ्तार में अनियंत्रित हुई कार सीधे सड़क किनारे खड़े पेड़ से जा टकराई।
राहगीरों और ग्रामीणों ने तत्काल चारों युवकों को बाहर निकाला और जिला अस्पताल जशपुर पहुंचाया। डॉक्टरों ने चेतन को मृत घोषित किया, जबकि तीनों घायलों की स्थिति गंभीर बताई। तीनों को प्राथमिक उपचार के बाद रांची रेफर किया गया, जहां प्रांजल दास की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।
खदान निरीक्षण से लौटते वक्त हुआ हादसा : पुलिस के मुताबिक चेतन और उनके तीनों साथी शनिवार सुबह करीब 10:30 बजे नगेरा पत्थर आरा स्थित गिट्टी खदान का निरीक्षण करने निकले थे। वापसी के दौरान बालाछापर स्थित कोरवा हॉस्टल के सामने यह हादसा हुआ। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जिला अस्पताल की शर्मनाक लापरवाही “एम्बुलेंस में डीजल नहीं था!” – हादसे के बाद घायलों को रांची रेफर करने में जिला अस्पताल की लापरवाही खुलकर सामने आई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, रेफरल एम्बुलेंस में डीजल नहीं था, जिसके चलते गंभीर रूप से घायल युवकों को घंटों अस्पताल परिसर में तड़पते रहना पड़ा।
गुस्साए परिजनों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई। लोगों का कहना था कि अस्पताल की यह घोर लापरवाही किसी की जान ले सकती थी, और यह प्रशासनिक सुस्ती का ज्वलंत उदाहरण है।
सिविल सर्जन की सफाई – “डीजल था, दूसरी एम्बुलेंस मंगानी पड़ी” : जब इस पूरे प्रकरण पर सिविल सर्जन डॉ. विपिन इंदवार से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा –
“एम्बुलेंस में डीजल था। लेकिन तीनों घायलों को एक साथ रांची रेफर करना था, इसलिए हमें एक और एम्बुलेंस की जरूरत थी, जो मनोरा स्वास्थ्य केंद्र से मंगाई गई। इसी वजह से थोड़ी देर हुई।”
हालांकि परिजन डॉक्टर के इस दावे से असहमत दिखे।
उनका कहना है कि अस्पताल में व्यवस्थाओं की पोल हर बार ऐसे ही हादसों में खुल जाती है, लेकिन प्रशासन हर बार औपचारिक बयान देकर मामला रफा-दफा कर देता है।
अधिकारी और जनप्रतिनिधि पहुंचे अस्पताल : घटना की जानकारी मिलते ही विधायक रायमुनि भगत, नगर पालिका अध्यक्ष अरविंद भगत, एसडीएम विश्वास राव मास्के, सिविल सर्जन डॉ. विपिन इंदवार और थाना प्रभारी आशीष तिवारी जिला अस्पताल पहुंचे। अधिकारियों ने घायलों का हालचाल जाना और परिजनों को हरसंभव सहायता का भरोसा दिया।
जनता का गुस्सा फूटा “अगर एम्बुलेंस में डीजल नहीं, तो ये अस्पताल क्यों?” – अस्पताल की बदइंतजामी से शहरवासियों में भारी आक्रोश है। लोगों ने सवाल उठाया –
“अगर जिला अस्पताल में आपात स्थिति में भी एम्बुलेंस तैयार नहीं, तो यह स्वास्थ्य तंत्र आखिर किस काम का?”
लोगों ने चेतन की मौत को सिर्फ सड़क हादसा नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की लापरवाही का नतीजा बताया।
जशपुर की इस घटना ने दोहरी त्रासदी को उजागर कर दिया है –
पहली, तेज रफ्तार का कहर, और दूसरी, प्रशासनिक लापरवाही की बेरुखी। एक होनहार युवक की मौत और तीन जिंदगियों की जंग इस बात का सबूत है कि सड़क सुरक्षा से ज्यादा हमारे सिस्टम को सुधार की जरूरत है।
अब सवाल यह है – क्या चेतन की मौत के बाद भी जिला प्रशासन जागेगा, या फिर यह हादसा भी “सिस्टम की नींद” में दफन हो जाएगा?




