राजधानी रायपुर में क्या गुंडाराज?…पुलिस ‘कागज़ी’, अपराधी ‘बेख़ौफ़’ – बार में गुंडों की तांडवलीला, स्टाफ पर हमला…

रायपुर। प्रदेश की राजधानी में कानून नहीं, गुंडों की चल रही है सरकार! बीते कुछ हफ्तों में चोरी, लूट, हत्या और बलात्कार की घटनाओं ने पुलिस प्रशासन की नींव हिला दी है। अपराधी सरेआम वारदात कर रहे हैं – और पुलिस हर बार की तरह सिर्फ बयानबाज़ी और औपचारिक एफआईआर में सिमट गई है।
ताज़ा मामला राजधानी के भाटागांव स्थित “जिलेट बार” का है, जहां कुछ असामाजिक तत्वों ने खुलेआम गुंडागर्दी, मारपीट और तोड़फोड़ कर दी। घटना के वक्त पुलिस महज़ दर्शक बनी रही।
“बिल ज़्यादा है” कहकर किया हमला : बार में काम करने वाले राहुल साहू ने बताया कि –
“3 अक्टूबर की शाम विवेक धनगर नाम का युवक अपने साथियों के साथ शराब पीने आया। बिल थमाते ही वे बौखला गए, गालियां दीं, फिर मुझे पीट दिया। कंप्यूटर तोड़ दिया, बोतलें फेंक दीं और फरार हो गए।”
राहुल के हाथ और पीठ पर गंभीर चोटें आई हैं। बार में काम करने वाले अन्य स्टाफ दहशत में हैं।
पुलिस ने एफआईआर दर्ज तो की, पर गिरफ्तारी अब तक नहीं।
व्यापारी बोले – “रायपुर असुरक्षित हो चुका है” : घटना के बाद व्यापारिक समुदाय में भारी नाराज़गी है। उनका कहना है –
“राजधानी में जब पुलिस ही लाचार है, तो आम व्यापारी किस पर भरोसा करे? ऐसे माहौल में दुकान चलाना भी खतरे से खाली नहीं।”
कई व्यापारिक संगठनों ने सवाल उठाया है कि रायपुर जैसी राजधानी में अगर अपराधी बेलगाम हैं, तो छोटे कस्बों और गांवों का क्या हाल होगा?
पुलिस की कमजोरी या सरकार की चुप्पी? : राजधानी में बढ़ते अपराध यह साबित कर रहे हैं कि पुलिस सिर्फ दिखावे की चौकसी कर रही है।
घटना के बाद हर बार वही प्रक्रिया – एफआईआर, बयान, और फिर खामोशी।
कानून व्यवस्था पर सरकार की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है। क्या अपराधियों के डर से प्रशासन भी डर गया है?
जनता का सवाल: आखिर जवाबदेही किसकी? : राजधानी में दिन-दहाड़े गुंडागर्दी, मारपीट और तोड़फोड़ अब आम बात बन चुकी है।
जनता का भरोसा पुलिस से टूट रहा है, व्यापारी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, और अपराधी शासन का मज़ाक उड़ा रहे हैं।
“जब राजधानी असुरक्षित हो, तो प्रदेश कैसे सुरक्षित होगा?”
“पुलिस प्रशासन कब तक नींद में रहेगा?”
“क्या अब अपराधियों को ही सुरक्षा का लाइसेंस दे दिया गया है?”
अब वक्त कार्रवाई का, बयानबाज़ी का नहीं :
राज्य सरकार को अब काग़ज़ी आश्वासनों से ऊपर उठकर सख्त कदम उठाने होंगे।
कानून का डर मिट चुका है, और अगर यही हाल रहा — तो रायपुर राजधानी नहीं, अपराधियों की राजधानी बनकर रह जाएगा।




