
रायगढ़। जिले के धरमजयगढ़ अंचल में मानव-हाथी द्वंद लगातार भयावह रूप लेता जा रहा है। खेतों की फसलें रौंदना, घरों को तोड़ना और इंसानी जान लेना – जंगली हाथियों का आतंक अब आम बात बन गया है।
ताज़ा घटना बकारुमा रेंज के अंतर्गत रेरुमा खुर्द गांव के मांझीपारा की है, जहां शुक्रवार रात एक जंगली हाथी ने 45 वर्षीय महिला को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हाथी ने महिला को पटक-पटककर और पैरों तले कुचलकर इतना क्षत-विक्षत कर दिया कि उसकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
सूचना पाकर वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुँची और औपचारिक जांच शुरू की, लेकिन इससे ग्रामीणों का आक्रोश शांत नहीं हुआ। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की घोर लापरवाही और सुस्ती के कारण लगातार जान-माल का नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि हाथियों की आवाजाही और हमले लंबे समय से जारी हैं, फिर भी विभाग न तो पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था कर पा रहा है और न ही कोई ठोस रणनीति बना रहा है।
ग्रामीणों में भय और गुस्सा दोनों चरम पर है। वे साफ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो वे स्वयं हाथियों से निपटने को मजबूर होंगे।
धरमजयगढ़ क्षेत्र में यह कोई पहली घटना नहीं, बल्कि इंसान और हाथी के बीच बढ़ते टकराव की कड़ी है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक आदिवासी अंचल के लोग वन विभाग की नाकामी और हाथियों के आतंक के बीच पिसते रहेंगे?




