
रायगढ़। जिले के पुसौर विकासखंड में ग्रामीण विकास की रफ्तार पूरी तरह से थम गई है। आलम यह है कि बीते एक साल से यहां की दर्जनों ग्राम पंचायतों के पास विकास कार्यों के लिए फूटी कौड़ी नहीं है। फंड के अभाव में सड़क, नाली, और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीणों का गुस्सा अब फूटने लगा है। इसी संकट से निपटने के लिए पुसौर क्षेत्र के सरपंचों और जनप्रतिनिधियों ने लामबंद होकर रायगढ़ कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और तत्काल राशि जारी करने की मांग की है।

एक साल से खाली पड़ा है खजाना : सरपंचों द्वारा सौंपे गए संयुक्त ज्ञापन में प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि पिछले एक वर्ष से पंचायतों को मूलभूत फंड, 15वें वित्त आयोग की राशि और अन्य मदों का पैसा नहीं मिला है। पैसे न होने के कारण नरेगा (NREGA) और स्वच्छ भारत मिशन के तहत होने वाले काम भी ठप पड़े हैं।
CSR के नाम पर सिर्फ आश्वासन : ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रही बड़ी औद्योगिक कंपनियों से भी पंचायतों को निराशा ही हाथ लगी है। ज्ञापन में बताया गया कि पंचायतों ने कई बार CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) मद से सहयोग मांगा, लेकिन कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।
जनता के सवालों से घिरे सरपंच : फंड न होने से सीसी रोड, सामुदायिक भवन और हैंडपंप मरम्मत जैसे छोटे-मोटे काम भी बंद हैं। गांव में विकास न होने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और उन्हें जवाब देना सरपंचों के लिए भारी पड़ रहा है। इसी दबाव के चलते अब सभी जनप्रतिनिधि एकजुट होकर जिला प्रशासन की शरण में पहुंचे हैं।
कलेक्टर से लगाई गुहार : ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई है कि रुके हुए विकास कार्यों को गति देने के लिए 14वें-15वें वित्त और अन्य मदों की बकाया राशि तुरंत जारी की जाए। साथ ही, महत्वपूर्ण निर्माण कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट और CSR फंड की स्वीकृति दिलाई जाए। अब देखना होगा कि प्रशासन इस गुहार पर कितनी जल्दी संज्ञान लेता है।




