छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए बड़ी खबर : पीएम-आशा योजना से बदलेगी तकदीर, अब दाल और तिलहन फसलों की होगी बंपर सरकारी खरीदी…

रायपुर, 30 नवंबर 2025। छत्तीसगढ़ के कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। राज्य के किसानों को धान के अलावा अब दलहन और तिलहन की खेती में भी बड़ा मुनाफा देने के लिए प्रधानमंत्री-अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) को पूरे प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को पूरा करने और छत्तीसगढ़ के किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में यह योजना एक मील का पत्थर साबित होने जा रही है।

अरहर, उड़द और मसूर की 100% खरीदी का फैसला : इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि राज्य सरकार ने केंद्र के सहयोग से दलहनी फसलों की खरीदी पर बड़ा फैसला लिया है। अब तक किसान बाजार के उतार-चढ़ाव से परेशान रहते थे, लेकिन अब:
- 100% उपार्जन: पूरे छत्तीसगढ़ में उत्पादित अरहर, उड़द और मसूर का शत-प्रतिशत उपार्जन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किया जाएगा। यानी किसान जितनी भी उपज लाएगा, सरकार उसे खरीदेगी।
- 25% उपार्जन: इसके अलावा मूंगफली, सोयाबीन, मूंग, चना और सरसों जैसी फसलों के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत हिस्सा सरकार द्वारा खरीदा जाएगा।
यह खरीदी केंद्र सरकार की नोडल एजेंसियों नाफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) के माध्यम से की जाएगी।
तीन प्रमुख कवच: जिससे सुरक्षित होगी किसानों की आय – पीएम-आशा योजना केवल फसल खरीदी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तीन स्तरों पर किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है:
- मूल्य समर्थन योजना (PSS): इसके तहत दालों और तिलहनों की भौतिक खरीदी की जाती है।
- मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF): यह बाजार में कीमतों को स्थिर रखने में मदद करता है।
- मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS): यदि बाजार भाव एमएसपी से कम हो, तो अंतर की राशि का भुगतान करने का प्रावधान।
पूरे प्रदेश में खुलेंगे उपार्जन केंद्र : योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए राज्य के सभी जिलों और विकासखंड स्तर पर उपार्जन केंद्रों (Procurement Centers) का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। शासन द्वारा विभिन्न जिलों में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को उपार्जन केंद्र के रूप में अधिसूचित किया जा रहा है, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए दूर न जाना पड़े। हर केंद्र पर 90 दिनों की उपार्जन अवधि निर्धारित रहेगी।
किसानों को क्या करना होगा? (पंजीयन प्रक्रिया) : इस महाअभियान का लाभ उठाने के लिए प्रदेश के सभी इच्छुक किसानों को पारदर्शिता के साथ एक सरल प्रक्रिया का पालन करना होगा:
- एकीकृत किसान पोर्टल पर पंजीयन: उपज बेचने के लिए किसानों को ‘एकीकृत किसान पोर्टल’ पर अपना पंजीयन कराना अनिवार्य है।
- केंद्र का चयन: पंजीयन के दौरान किसान को अपने समीपस्थ उपार्जन केंद्र का चयन करना होगा।
- बाजार प्रतिस्पर्धा का लाभ: सरकारी खरीदी की गारंटी होने से खुले बाजार में भी व्यापारियों को प्रतिस्पर्धी मूल्य देना पड़ेगा, जिससे अंततः फायदा किसान का ही होगा।
फसल विविधीकरण (Crop Diversification) की नई लहर : छत्तीसगढ़ को पारंपरिक रूप से ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है, लेकिन पीएम-आशा योजना के लागू होने से प्रदेश में फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा। जब किसानों को दलहन और तिलहन पर एमएसपी की गारंटी मिलेगी, तो वे धान के अलावा अन्य फसलों की ओर भी आकर्षित होंगे। इससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति बचेगी, बल्कि दाल उत्पादन में देश और प्रदेश आत्मनिर्भर भी बनेगा।
पीएम-आशा योजना छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए आर्थिक स्वावलंबन का नया अध्याय है। यह योजना न केवल उनकी उपज का सही दाम सुनिश्चित करेगी, बल्कि उन्हें बाजार की अनिश्चितताओं से भी मुक्त करेगी।




