पत्थलगांव नगर पालिका में भ्रष्टाचार और निष्क्रियता का बोलबाला ; नगर पंचायत से नगर पालिका बनने के बाद भी “शासन का उद्देश्य” फाइलों में ही कैद, पार्षदों में जबरदस्त नाराजगी…

पत्थलगांव। नगर पंचायत से नगर पालिका बनने के बाद शासन की अपेक्षाओं के अनुरूप विकास की गंगा बहने की उम्मीद थी, लेकिन हालात इससे बिल्कुल उलट हैं। नगर पालिका उन्नयन के बाद भी कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नहीं आया है। शासन का उद्देश्य – बेहतर प्रशासन, सुशासन और जनसेवा – कागजों से आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, नगर पालिका में बैठे प्रभारी सीएमओ और नगरीय प्रशासन से जुड़े अधिकारी ही इस बदहाली के जिम्मेदार हैं। इन अधिकारियों में कार्य करने की इच्छाशक्ति समाप्त हो चुकी है, और अब वे किसी तरह तबादले की राह देख रहे हैं।
पार्षदों में इस उदासीनता को लेकर भारी नाराजगी है। उनके वार्डों में विकास कार्य ठप हैं। पिछली परिषद बैठक में पारित कई महत्वपूर्ण एजेंडे आज भी लंबित हैं।
कार्यालय में अनुशासन शून्य, सीएमओ का ऑफिस पहुंचना भी ‘इवेंट’ बन गया : नगर पालिका कार्यालय में मातहत कर्मचारी सीएमओ की बातों को गंभीरता से नहीं लेते। कारण साफ है — खुद सीएमओ और अधिकांश कर्मचारी सुबह 10 बजे की निर्धारित समयसीमा में कभी कार्यालय में नहीं पहुंचते।
मंगलवार को टी.एल. बैठक और सीएमओ का गृह जिला जशपुर होने के कारण वे बुधवार की शाम तक ही कार्यालय पहुंच पाते हैं। ऐसे में पाँच दिन के कार्य सप्ताह में मुश्किल से दो-तीन दिन ही कामकाज हो पाता है। आम जनता की समस्याएँ सुनने या निपटाने वाला कोई नहीं है।
यह स्थिति “सैंया भय कोतवाल तो डर कहे का” कहावत को चरितार्थ कर रही है। न राजस्व अधिकारी डरते हैं, न सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि जवाब मांगते हैं।
फर्जी निराकरण और जनता से छल : सुशासन अभियान में दिए गए कई आवेदनों का फर्जी निराकरण कर दिया गया है। ऑनलाइन EMD वापसी के आवेदन महीनों से लंबित हैं। संबंधित अधिकारियों द्वारा ‘दो-चार दिन में काम हो जाएगा’ का झूठा भरोसा देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
प्रभारी सीएमओ की “ऊँची पहुँच” पर उठे सवाल : नगरपालिका में लंबे समय से प्रभारी सीएमओ के पद पर बैठे अधिकारी की “ऊँची पहुँच” सत्ता पक्ष और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। बताया जाता है कि उन्हीं की “पहुंच” के चलते अब तक किसी भी उच्चाधिकारी ने समय पर ऑफिस न आने वाले कर्मचारियों की जांच तक नहीं की।
स्थानीय जागरूक नागरिकों का कहना है कि पत्थलगांव को एक पूर्णकालिक, जिम्मेदार और कार्यशील सीएमओ की तत्काल आवश्यकता है।
शासन यदि सच में सुशासन चाहता है, तो ‘प्रभारी’ प्रणाली को खत्म कर नगर पालिका में एक ‘फुल-फ्लेज्ड’ सीएमओ की नियुक्ति करनी चाहिए।
“जनता के पैसे पर आराम, जनता की परेशानी पर मौन” : आसपास के जानकारों का आरोप है कि प्रभारी सीएमओ दिनभर सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों की चापलूसी में व्यस्त रहते हैं। वहीं, आम नागरिकों की शिकायतें या विकास कार्यों की फाइलें महीनों से दफ्तर की दराजों में धूल खा रही हैं।
पत्थलगांव नगर पालिका का यह हाल शासन की मंशा पर सवाल खड़े करता है। यदि प्रशासनिक अमला ही जवाबदेह नहीं, तो नगर का विकास सिर्फ घोषणा और पोस्टरों तक ही सीमित रह जाएगा।




