कोरबा

थानगांव के जंगल में करंट बिछाकर जंगली जानवरों का शिकार – वन विभाग की दबिश में 5 शिकारी गिरफ्तार…

कोरबा। जिले में वन्यजीव संरक्षण कानून की धज्जियां उड़ाते हुए थानगांव के जंगल में करंट बिछाकर जंगली जानवरों के बेरहम शिकार का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बिजुरी वन परिक्षेत्र की टीम ने मौके पर दबिश देकर पांच शिकारियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। उनके पास से करंट प्रवाहित बिजली के तार, लोहे के खंभे, बांस की लकड़ियां और शिकार में प्रयुक्त अन्य उपकरण जब्त किए गए हैं।

वन परिक्षेत्र अधिकारी पवन कुमार ताम्रकार को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग जंगल के भीतर करंट बिछाकर वन्यजीवों का अवैध शिकार कर रहे हैं। सूचना मिलते ही विभाग ने बिना देर किए टीम गठित की और थानगांव के जंगल में छापामार कार्रवाई की।

जंगल में करंट से मौत का जाल : मौके पर फैले बिजली के तारों में कुछ हिस्सों में अभी भी करंट प्रवाहित था। वनकर्मियों ने वधानीपूर्वक करंट सप्लाई बंद कर तारों को हटाया। तलाशी के दौरान टीम को शिकार के अन्य उपकरण, लोहे के खूंटे और मांस काटने के औजार भी मिले।

पूछताछ में पकड़े गए आरोपियों ने शिकार की बात स्वीकार की, साथ ही यह भी कबूल किया कि वे जंगली जानवरों को मारकर मांस की बिक्री और निजी उपयोग के लिए यह घिनौना काम कर रहे थे।

गिरफ्तार आरोपी और जब्ती : वन विभाग ने जिन शिकारियों को हिरासत में लिया है, उनके नाम हैं –

  1. शुभ सिंह उर्फ लल्ला (25)
  2. बुद्धसेन सिंह उर्फ भोलू (23)
  3. विजेंद्र सिंह (45)
  4. महादेव सिंह उर्फ बिट्टू (21)
  5. संतोष सिंह (36)

सभी आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत कठोर कार्रवाई की जा रही है।

वन परिक्षेत्र अधिकारी पवन कुमार ताम्रकार ने कहा –

“जंगली जानवरों का करंट से शिकार अत्यंत अमानवीय और दंडनीय अपराध है। ऐसे कृत्यों में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।”

विभाग ने आसपास के ग्रामीणों को भी चेताया है कि वे जंगलों में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत वन विभाग को दें, अन्यथा उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

बिजुरी वन परिक्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से जंगली सुअर, हिरण और अन्य वन्यजीवों के शिकार की घटनाएं बढ़ी हैं। करंट बिछाकर जानवरों को मारने की यह प्रवृत्ति न केवल वन्यजीवों के अस्तित्व के लिए खतरा है, बल्कि आसपास के मानव जीवन के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती है।

Ambika Sao

सह-संपादक : छत्तीसगढ़

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