बिलासपुर

बिलासपुर में वर्दी पर उठा सवाल: इंस्पेक्टर की कार से महिला घायल, भागने की कोशिश में भीड़ ने रोका… जाने पूरा मामला…

बिलासपुर। शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में 19 नवंबर की सुबह एक गंभीर सड़क हादसा हुआ, जिसने पुलिस की जवाबदेही पर गहरे सवाल खड़े कर दिए। पुलिस लाइन में पदस्थ इंस्पेक्टर अनिल अग्रवाल की कार ने सेंट फ्रांसिस स्कूल के पास पैदल जा रही महिला संतोषी श्रीवास और बाइक सवार मुकेश त्रिपाठी को टक्कर मार दी। हादसे में महिला सिर के बल सड़क पर गिरकर बेहोश हो गई।

घायल को छोड़ आगे बढ़े इंस्पेक्टर, भीड़ ने रोककर लौटने को मजबूर किया : प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के तुरंत बाद इंस्पेक्टर अनिल अग्रवाल अपनी कार आगे बढ़ाते हुए मौके से चले जाने की कोशिश कर रहे थे। अमेरी फाटक बंद होने के कारण वे आगे नहीं बढ़ सके और स्थानीय लोगों ने उन्हें दौड़ाकर पकड़ लिया। इसके बाद वे वापस लौटे और घायल महिला को अस्पताल पहुंचाया। महिला को नेहरू नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

महिला का मोबाइल ले गए, परिजन घंटों परेशान : हादसे के बाद इंस्पेक्टर द्वारा घायल महिला का मोबाइल अपने साथ ले जाने की बात भी सामने आई है। इससे महिला के परिजन संपर्क न होने के कारण काफी देर तक चिंता में रहे और उन्हें हादसे की जानकारी समय पर नहीं मिल सकी।

अस्पताल में ‘अज्ञात वाहन’ का मेमो, पुलिस की चुप्पी संदिग्ध :
अस्पताल पहुंचकर इंस्पेक्टर ने डॉक्टरों को बताया कि महिला को अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी है, जिसके आधार पर डॉक्टर ने मेमो तैयार किया।जबकि घटनास्थल पर मौजूद कार सीजी 10 बीएन 9904 स्वयं इंस्पेक्टर अनिल अग्रवाल के नाम पर रजिस्टर्ड है। उधर, सिविल लाइन थाना प्रभारी एस.आर. साहू का कहना है कि उन्हें इस हादसे की कोई जानकारी नहीं है और न ही इस संबंध में किसी प्रकार की शिकायत दर्ज कराई गई है। यह स्थिति और भी अधिक सवाल खड़े करती है।

इंस्पेक्टर का बचाव: “बाइक खिड़की से टकराई, महिला उसकी चपेट में आई” : इंस्पेक्टर अनिल अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा कि वे जनसुनवाई में जा रहे थे। उनके अनुसार, बाइक उनकी कार की खिड़की से टकराई और उसके प्रभाव से पास खड़ी महिला संतोषी श्रीवास गिर गईं। उन्होंने दावा किया कि बाद में वे मानवता के नाते लौटे और महिला को स्वयं अस्पताल में भर्ती कराया। मोबाइल साथ ले जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मौके पर महिला का कोई परिजन नहीं था, इसलिए फोन वे अपने साथ ले गए थे और शाम को उसे वापस सौंप दिया है।

वर्दी की विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्न : हादसे की गंभीरता, मौके से हटने की कोशिश, मोबाइल ले जाने जैसी बातें और अस्पताल में ‘अज्ञात वाहन’ का बयान – ये सब मिलकर वर्दी की गरिमा और पुलिस की निष्पक्षता पर सीधा प्रश्नचिह्न लगाते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक वर्दीधारी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?…

यह मामला केवल एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि कानून की समानता और पुलिस की जवाबदेही की गंभीर परीक्षा बन गया है।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!