
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर बालोद के घनश्याम सिंह गुप्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 04 अक्टूबर 2025 को एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का विषय था “विज्ञान के माध्यम से छत्तीसगढ़ का विकास”, जिसमें राज्य के विकास में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस आयोजन का सफल समन्वय गणित विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एचएल मानकर ने किया, जबकि भौतिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरडी साहू ने संयोजन की भूमिका निभाई। समारोह की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जेके खलखो के स्वागत उद्बोधन से हुई, जिसमें उन्होंने विज्ञान के विकास में छत्तीसगढ़ की प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

तत्पश्चात इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेंद्र कुलदीप के द्वारा आशीष वचन एवं उद्बोधन दिया गया। तत्पश्चात डॉ एचएल मानकर के द्वारा उद्बोधन और कार्य की रूपरेखा की जानकारी दी गई। डॉ नीरज वर्मा के द्वारा आज के कार्यक्रम के प्रवक्ता डॉ जगजीत कौर सलूजा, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, भौतिक विभाग, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर महाविद्यालय की उपलब्धि के बारे में जानकारी दी गई। तत्पश्चात डॉ जगजीत कौर सलूजा के द्वारा, “द इंपोर्टेंस ऑफ ल्यूमिनिसेंस फॉर सोसाइटी” में व्याख्यान दिया गया। जिसमें एलईडी, ल्यूमिनिसेंस के प्रकार, रेयर अर्थ एलिमेंट, फास्फोर मैटेरियल, सैंपल सिंथेस मैथड्स, कैरेक्टराइजेशन टेक्नीक्स के बारे में जानकारी दी गई।

तत्पश्चात द्वितीय प्रवक्ता डॉ पी झा, प्राचार्य, शासकीय नवीन महाविद्यालय, कोमाखान, महासमुंद, मैकेनिक्स का भौतिकी में उपयोग तथा वैदिक मैथेमेटिक्स के बारे में जानकारी दी और बताया कि आज के युग में जब हम “एस्ट्रोनॉमी” और “एस्ट्रोलॉजी” को अलग-अलग मानते हैं, तब भी ज्योतिष के मूल में जो गणना है — वह मैथमेटिक्स ही है। कंप्यूटर से बनने वाली कुंडलियाँ, ग्रह दशाएँ, गोचर (ट्रांसिट) — ये सभी सटीक एल्गोरिथम गणना पर आधारित हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि: “गणित के बिना ज्योतिष अधूरा है और ज्योतिष ने गणित को एक नया आयाम दिया है।”

ज्योतिष ने मानव को समय, दिशा, गति और ब्रह्मांडीय घटनाओं को मापने की कला सिखाई — जो आगे चलकर आधुनिक खगोलशास्त्र और गणित की नींव बनी। महाविद्यालय तथा अन्य स्कूलों के बच्चों के द्वारा विज्ञान से संबंधित माडल प्रदर्शित किया गया। तत्पश्चात द्वितीय पाली में, क्विज कंपटीशन का आयोजन किया गया था। जिसमें 200 से अधिक छात्र छात्राओं ने बढ़ चढकर भाग लिया। कार्यक्रम सह सयोजक प्रो. शैलेन्द्र आर्य एवं सचिव प्रो. सीडी मानिकपुरी और आंतरिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) सयोजक प्रो. गोपानंद खरे, तकनीकी सहायक डॉ. नीरज वर्मा एवं कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी विज्ञान संकाय के डॉ नेहा साहू, डॉ. रवि शंकर सिंह, सुश्री पूर्णिमा पाठरे, प्रो. रितु पिस्दा, प्रो. जितेश साहू, श्रीमती मोनिका भारद्वाज, सुश्री टीना साहू, सुश्री रितिका, नमन साहू, सुश्री आकांक्षा ध्रुव सहित महाविद्यालय के अधिकारी कर्मचारी उपस्थिति रहें।

इस सेमिनार में विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए और राज्य में नवीन तकनीकों तथा विज्ञान के प्रयोग से आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक विकास की दिशा पर चर्चा की गई। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के समृद्ध भविष्य के लिए विज्ञान के महत्व को समझने और उसे बढ़ावा देने का एक मंच साबित हुआ।




