अंबिकापुर

“सच लिखने की कीमत – हत्या की सुपारी!”

भ्रष्ट तहसीलदार, जमीन माफिया और नकली पत्रकारों ने मिलकर रची पत्रकार प्रशान्त पाण्डेय की हत्या की साजिश – तीन बार मौत भेजी, हर बार सच जीत गया…

आईजी सरगुजा रेंज से शिकायत – पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग तेज…

अंबिकापुर। जब कलम बिकने से इनकार करती है, तो खंजर निकलते हैं। सच की कीमत आज भी जान से चुकानी पड़ रही है -और सूरजपुर में एक ईमानदार पत्रकार की हत्या की साजिश इसका जिंदा सबूत है।

‘हिंद स्वराष्ट्र’ और ‘सिंधु स्वाभिमान’ समाचार पत्रों में लगातार घोटालों और अवैध रजिस्ट्री के खुलासे करने वाले संपादक प्रशान्त पाण्डेय को खत्म करने की साजिश उसी भ्रष्ट तंत्र ने रची, जिसकी पोल उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग से खोली थी।
हत्या की सुपारी दी गई, योजना बनी, पीछा किया गया, और तीन-तीन बार हत्या की कोशिश हुई – लेकिन हर बार सच की कलम मौत से बच निकली।

खबर से हिल गया माफिया नेटवर्क – तहसीलदार पर उंगलियाँ, नोटिस जारी : लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा की फर्जी रजिस्ट्री के खेल का पर्दाफाश करते हुए प्रशान्त पाण्डेय ने बताया था कि बिना कलेक्टर अनुमति और पटवारी प्रतिवेदन के जमीन की रजिस्ट्री करा दी गई थी।
रिपोर्ट छपते ही तहसील के गलियारों में हड़कंप मच गया।
SDM शिवानी जायसवाल ने तहसीलदार को तीन कारण बताओ नोटिस जारी किया — लेकिन जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

इस पूरे फर्जीवाड़े में हरिपुर के संजय गुप्ता और उसका बेटा हरिओम गुप्ता मुख्य दलाल के रूप में सामने आए — वही पिता-पुत्र जिनकी साठगांठ ने पूरे प्रशासनिक ढांचे को भ्रष्टाचार के कीचड़ में धकेल दिया।

प्रधानमंत्री आवास योजना में भी घोटाला – पत्रकार ने खोला एक और पिटारा : भैयाथान विकासखंड के ग्राम सिरसी में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में करोड़ों के गड़बड़ी की खबर ने जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी।
प्रशान्त पाण्डेय की रिपोर्ट के बाद रोजगार सहायक नईम अंसारी बर्खास्त हुआ और कई अधिकारी जांच के घेरे में आए।

इसी पंचायत में दूसरा बड़ा खुलासा हुआ —
देवानंद कुशवाहा की जमीन उसके भाई बैजनाथ कुशवाहा के नाम कर दी गई, और यह सब हुआ 5 लाख रुपये की रिश्वत लेकर, तहसीलदार संजय राठौर की मेज पर बैठकर।
बैकडेट में नामांतरण, जाली दस्तावेज़ — सबूत मौजूद, पर कार्रवाई गायब।

सच के दुश्मनों ने रची साजिश -पत्रकार को कुचलने की योजना : इन खबरों के बाद भ्रष्ट तंत्र आगबबूला हो उठा।
नईम अंसारी के रिश्तेदार फिरोज अंसारी, बैजनाथ कुशवाहा का बेटा संदीप कुशवाहा, सिरसी के प्रेमचंद ठाकुर और अविनाश ठाकुर उर्फ गोलू ठाकुर ने मिलकर हरिओम गुप्ता से संपर्क किया — और वहीं बनी हत्या की स्क्रिप्ट।

पहली योजना थी — सिरसी बुलाकर ट्रक से कुचल देना।
हरिओम गुप्ता ने खुद बोलेरो और स्कॉर्पियो से पत्रकार और उनके परिवार का पीछा किया। लेकिन परिवार के बच्चों को देखकर पल भर को उसकी हिम्मत जवाब दे गई।

दूसरी योजना में फिरोज अंसारी ने अपने साले असलम (शूटर) को बुलाया, पर पत्रकार उज्जैन में महाकाल दर्शन के लिए निकल गए थे — जान बच गई।

तीसरी कोशिश 20 सितंबर की रात बनारस मार्ग पर हुई, जब बाइक से लौटते वक्त उन्हें गाड़ी से कुचलने की कोशिश की गई। लेकिन भीड़ और रोशनी के बीच हत्यारे पीछे हट गए।

ग्रामसभा में खुली पोल – आरोपी ने खुद कबूली ‘सुपारी’ की बात : हत्या की साजिश की परतें तब खुलीं जब हरिपुर ग्रामसभा में आरोपियों के बीच विवाद हुआ।
सभा के बीच संजय गुप्ता ने सबके सामने कबूला कि उसने पत्रकार की हत्या की सुपारी दी थी — और वहीं पंचायत में माफी मांगी।
लेकिन उसका बेटा हरिओम गुप्ता अब भी खुलेआम धमकी दे रहा है — “निर्णय पंचायत के बाहर होगा।”
इस खुले अपराधी रवैये ने पूरे क्षेत्र के पत्रकारों को दहला दिया है।

आईजी सरगुजा रेंज से गुहार – “हम सुरक्षित नहीं हैं” : संपादक प्रशान्त पाण्डेय ने हत्या की साजिश से जुड़े दस्तावेज़, वीडियो और ऑडियो साक्ष्यों के साथ आईजी सरगुजा रेंज को विस्तृत शिकायत सौंपी है।
उनका कहना है –

“मैंने सिर्फ सच लिखा, पर अब मेरा परिवार भी खतरे में है। अगर मुझे कुछ हुआ, तो जिम्मेदार वही लोग होंगे जिनकी कलम से डर उन्हें खंजर थमाने पर मजबूर कर रहा है।”

थाने में दर्ज शिकायत – डिजिटल साक्ष्य सौंपे : पत्रकार ने गांधीनगर थाना में भी शिकायत दी है, जिसमें सभी सबूत पेनड्राइव के रूप में सौंपे गए हैं।
उन्होंने मांग की है कि सभी आरोपियों पर धारा 120B (षड्यंत्र), 307 (हत्या का प्रयास), 506 (धमकी) समेत संगठित अपराध के तहत मामला दर्ज किया जाए।

नकली पत्रकारों’ ने पेशे की आड़ में रची साजिश : इस पूरे प्रकरण ने पत्रकारिता की आड़ में पल रहे माफिया चेहरों को भी बेनकाब कर दिया है।
फिरोज अंसारी जैसे तथाकथित पत्रकार, जो खबर नहीं बल्कि सौदे करते हैं, उन्होंने “सूचना जुटाने” के बहाने पत्रकार को फँसाने की साजिश रची।
यह घटना साबित करती है कि अब लड़ाई सिर्फ सच बनाम झूठ की नहीं — बल्कि पत्रकार बनाम नकली पत्रकारों की हो गई है।

पत्रकार जगत में उबाल – सुरक्षा कानून की माँग :

घटना ने स्थानीय और क्षेत्रीय पत्रकार समुदाय को झकझोर दिया है।
पत्रकार संगठनों का कहना है —

“अगर सच बोलने वाले पत्रकार को ही कुचलने की कोशिश होगी, तो लोकतंत्र की रीढ़ कौन बचाएगा?”

संगठनों ने राज्य सरकार, गृह विभाग और मुख्यमंत्री से मांग की है कि संपादक प्रशान्त पाण्डेय को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए, और हत्या की साजिश में शामिल हर आरोपी को जेल भेजा जाए।

मुख्य तथ्य (Key Points) :

  • भ्रष्ट तहसीलदार, जमीन दलाल और नकली पत्रकारों का गठजोड़ उजागर
  • पत्रकार प्रशान्त पाण्डेय की हत्या की तीन असफल कोशिशें
  • ग्रामसभा में आरोपी ने ‘सुपारी’ देने की बात मानी
  • आईजी सरगुजा रेंज को सौंपी गई शिकायत — सुरक्षा की गुहार
  • पत्रकारिता की आड़ में अपराध का संगठित खेल बेनकाब

संपादकीय टिप्पणी :

यह सिर्फ एक पत्रकार पर हमला नहीं — यह सच पर हमला है।
जब कलम झुकती नहीं, तो अपराधी उसे तोड़ना चाहते हैं।
प्रशान्त पाण्डेय जैसे पत्रकार इस युग के वे योद्धा हैं, जिनकी लड़ाई कलम से है, पर दुश्मन के हाथों में तलवार है।
अब वक्त आ गया है कि पत्रकार सुरक्षा कानून सिर्फ कागजों में नहीं, सड़कों पर हकीकत बने।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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