मंत्री केदार कश्यप पर गंभीर आरोप : कर्मचारी से अभद्रता और मारपीट, बस्तर की सियासत गरमाई…थाने में शिकायत दर्ज…

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के वन, जलवायु परिवर्तन और परिवहन मंत्री केदार कश्यप पर मारपीट और अभद्र व्यवहार का गंभीर आरोप लगा है। जगदलपुर सर्किट हाउस के संविदा कर्मचारी खितेंद्र पांडेय ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि मंत्री ने न केवल उन्हें गालियां दीं, बल्कि कॉलर पकड़कर थप्पड़ भी मारे।
पीड़ित का बयान : खितेंद्र पांडेय, जो पिछले 20 वर्षों से सर्किट हाउस में सेवा दे रहे हैं, ने आरोप लगाया-
“मैं मंत्री जी का नाश्ता बना रहा था। उसी दौरान उनका पीएसओ मुझे बुलाने आया। जैसे ही मैं कमरे में पहुंचा, मंत्री ने कहा -‘कमरा क्यों नहीं खोला?’ इसके बाद अचानक जूता उठा लिया, मां-बहन की गालियां दीं और कॉलर पकड़कर 2-3 थप्पड़ मारे। मैं लकवा का मरीज हूं, फिर भी उन्होंने हाथ उठाया। 20 साल की नौकरी में मुझे पहली बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा।”
उन्होंने इस संबंध में कोतवाली थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
घटना के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा- “चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के साथ मंत्री का ऐसा व्यवहार बेहद शर्मनाक है। केदार कश्यप ने अपने पिता बलिराम कश्यप जैसी प्रतिष्ठित शख्सियत की छवि की भी परवाह नहीं की। यह उनका अहंकार और दंभ दर्शाता है। उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।”
- वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर कड़ा प्रहार करते हुए लिखा – “क्या सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी जी की मां ही मां हैं और बाकी किसी की मां मां नहीं? केदार कश्यप ने बस्तर के एक कर्मचारी को गालियां दीं और पीटा। भाजपा को तुरंत उनका इस्तीफा लेना चाहिए और मंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।”
मंत्री का बचाव : आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री केदार कश्यप ने कहा –
“कांग्रेस के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है। वे केवल भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। जिस तरह की घटना का जिक्र किया जा रहा है, ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है।”
सियासी असर :
- बस्तर अंचल की संवेदनशील परिस्थितियों और जनभावनाओं के बीच यह विवाद भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
- कर्मचारी वर्ग में असंतोष बढ़ने की आशंका है, वहीं विपक्ष इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक भुनाने की तैयारी में है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मंत्री केदार कश्यप इन आरोपों से खुद को बचा पाएंगे या यह विवाद भाजपा सरकार की साख पर भारी पड़ेगा?