“ग्रामसभा से लेकर प्रेस तक अदानी का कब्ज़ा – लोकतंत्र की लूट पर रायगढ़ की जनता का विस्फोट…”

रायगढ़। वाह री लोकतंत्र! अब यहां जनता की नहीं, कॉरपोरेट की ग्रामसभा होती है। अदानी ग्रुप ने महाजेनको कोल ब्लॉक पर कब्ज़ा जमाने के लिए ऐसी ‘ग्रामसभा’ कराई, जिसमें असली ग्रामीणों की जगह अदानी के दलालों को कुर्सी पर बिठा दिया गया। कहते हैं, ग्रामसभा इतनी शानदार थी कि जनता को बुलाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी पैसे वाले दलाल ही जनता बन गए!
लेकिन अफसोस… रायगढ़ की असली जनता इतनी भी भोली नहीं थी। बुधवार को मुड़ागांव में 12 गांवों के सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए और अदानी की इस ‘ग्रामसभा कॉमेडी शो’ का पर्दाफाश कर दिया। जनता ने तंज कसा “अगर अदानी ही ग्रामसभा करेगा, तो अगली बार चुनाव भी वही करा दे, हम तो बस वोटर लिस्ट में नाम देख लेंगे।”
प्रशासन की घोर मेहनत : चुप रहने की कला –ग्रामीणों ने तमनार थाने, एसपी और कलेक्टर तक दर्जनों शिकायतें दीं। लेकिन प्रशासन इतना मेहनती निकला कि उसने सब शिकायतें ‘अनसुनी’ कर दीं। कलेक्टर ने तो सीधा कह दिया कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। जनता कह रही है “लगता है कलेक्टर साहब का दफ्तर रायगढ़ में नहीं, अदानी भवन में खुला है।”
पत्रकारों पर हमला: चौथा स्तंभ भी गिरवी – जो पत्रकार गांव-गांव जाकर सच दिखा रहे थे, उन पर अदानी समर्थित गुंडों ने हमला किया। धमकाया, पीटा और चुप कराने की कोशिश की। यानी अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी अदानी की गिरवी सूची में शामिल हो गया। एक महिला ग्रामीण ने कटाक्ष किया—“अगर प्रेस की आवाज दबा दी जाएगी, तो शायद अदानी ही कल से अखबार भी छापना शुरू कर दे ‘द अदानी टाइम्स’।”
पुलिस की चुप्पी: नया संविधान : पुलिस का हाल और भी मजेदार है। फर्जी ग्रामसभा, पत्रकारों पर हमला, ग्रामीणों की शिकायतें – सबका नतीजा: शून्य FIR। ग्रामीणों ने तंज कसा “अब लगता है भारतीय संविधान बदल गया है। नया संविधान शायद अदानी हाउस से छप रहा होगा, जिसमें लिखा होगा ‘कानून वही जो कॉरपोरेट कहे।’”
जनता का व्यंग्य, लेकिन संकल्प अडिग : मुड़ागांव की महासभा में ग्रामीणों ने ऐलान किया—फर्जी ग्रामसभा रद्द हो, पत्रकारों पर हमला करने वालों को जेल भेजा जाए और निष्पक्ष जांच हो। वरना रायगढ़ की सड़कें ‘जनता बनाम कॉरपोरेट’ का सीधा मैदान बनेंगी। सभा से एक ग्रामीण नेता ने तंज कसते हुए कहा “अगर अदानी को ही सब करना है, तो हमें क्यों रखा है? सरकार, पुलिस, ग्रामसभा- सब अदानी को ही सौंप दो, जनता तो वैसे भी फालतू है।”
सवाल जो तीर की तरह चुभ रहे हैं :
- फर्जी ग्रामसभा पर पुलिस इतनी ‘संवेदनशील चुप्पी’ क्यों साधे है?
- पत्रकारों पर हमले की FIR क्यों नहीं?
- क्या अब शासन का नया नारा है—“सबका साथ, अदानी का विकास”?
- क्या लोकतंत्र अब ‘कॉरपोरेटतंत्र’ में बदल गया है?
रायगढ़ की जनता ने साफ कह दिया है- “अदानी की साजिशें राख होंगी, जनता की ताकत जीतेगी।”
अब सवाल यह है कि सत्ता जागेगी या फिर अगली बार अदानी खुद लोकतंत्र का ‘वार्षिक कार्यक्रम’ आयोजित करेगा।