अंबिकापुर

“अंबिकापुर में जमीन की ठगी : 65 लाख का सौदा, 20 लाख एडवांस लेकर फरार हुआ युवक”… FIR दर्ज…

अंबिकापुर। जिले में एक बार फिर जमीन के नाम पर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। बलरामपुर जिले के एक व्यवसायी से अंबिकापुर के एक युवक ने दूसरे की जमीन बताकर 65 लाख रुपए में सौदा किया और एडवांस के तौर पर 20 लाख रुपए हड़प लिए। मामला सामने आने के बाद कोतवाली पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

तीन साल पुराना सौदा, लेकिन अब खुली पोल : यह मामला वर्ष 2022 का है। बलरामपुर जिले के राजपुर निवासी महेश कुमार देवांगन अंबिकापुर में जमीन खरीदने की तलाश में थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात नमनाकला निवासी निकुंज गुप्ता से हुई। निकुंज ने दावा किया कि उसके नाम पर नमनाकला स्थित खसरा नंबर 151/166, 157/692, 179/1 की 10 डिसमिल जमीन है, जिसे वह बेचना चाहता है। उसने जमीन का निरीक्षण कराया और दस्तावेज दिखाकर विश्वास जगा दिया।

निकुंज गुप्ता ने जमीन की कीमत 65 लाख रुपए तय की और एडवांस की मांग की। इस पर महेश देवांगन ने 5 अप्रैल 2022 को 6 लाख रुपए बैंक ट्रांसफर किए, 8 जुलाई 2022 को 2 लाख रुपए नगद, और 26 जुलाई 2023 को 10 लाख रुपए दिए। कुल 20 लाख रुपए आरोपी के पास पहुंच चुके थे।

नकली दस्तावेज और जालसाजी की पटकथा : निकुंज गुप्ता ने जमीन बेचने का एग्रीमेंट 50 रुपए के स्टांप पेपर पर तैयार कर नोटरी से सत्यापित कराया था, ताकि सौदे को वैधता का आभास मिल सके। जब व्यवसायी ने जमीन की रजिस्ट्री के लिए दबाव बनाया, तो निकुंज बार-बार टालता रहा। बाद में उसने फोन उठाना बंद कर दिया।

शक होने पर महेश देवांगन ने जमीन का रिकॉर्ड निकलवाया तो पता चला कि जिस जमीन को निकुंज अपना बता रहा था, वह किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थी।

अब दर्ज हुई FIR, आरोपी फरार : ठगी का एहसास होने पर महेश देवांगन ने 2 नवंबर 2025 को अंबिकापुर कोतवाली थाने में लिखित शिकायत दी। पुलिस ने जांच के बाद निकुंज गुप्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत अपराध दर्ज किया है।

फिलहाल आरोपी फरार बताया जा रहा है। पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी है और मामले की जांच जारी है।

जमीन खरीदने वालों के लिए सबक : इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जमीन-जायदाद के लेनदेन में दस्तावेज देखकर ही सौदा करना पर्याप्त नहीं है। खरीदारों को राजस्व अभिलेखों से सीधे नामांतरण और स्वामित्व की जांच करनी चाहिए। थोड़ी-सी लापरवाही लाखों की ठगी में बदल सकती है।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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