
महासमुंद। विशेष संवाददाता : जिले के शिक्षा विभाग में इन दिनों चर्चा है- यहां शिक्षा से ज़्यादा सेटिंग चल रही है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) विजय कुमार लहरे पर विभागीय मामलों को दबाने, जांच रिपोर्टों को प्रभावित करने और शिकायतों का सौदा तय करने जैसे गंभीर आरोप लग रहे हैं। स्थानीय शिक्षक अब शिक्षा कार्यालय को मज़ाक में ‘शिक्षा मॉल’ कहने लगे हैं, जहां हर मामले का अलग-अलग “रेट कार्ड” बताया जा रहा है।
जांच दल बना ‘जुमला दल’ : 1 अगस्त 2025 को एक शिक्षक के हर्बल लाइफ बिजनेस से जुड़े मामले ने पूरे विभाग में हलचल मचा दी थी। जांच दल गठित हुआ और रिपोर्ट में शिक्षक को दोषी पाया गया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर मात्र चेतावनी दी गई। सूत्रों का दावा है कि यह भी “सेटिंग” के जरिए निपटा लिया गया। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- “डीईओ कार्यालय में निर्णय योग्यता या नियमों से नहीं, बल्कि बातचीत से तय होता है।”
‘HL कोड’ और डायरी का रहस्य : सूत्रों के अनुसार, डीईओ लहरे की निजी डायरी में कई रहस्यमय कोड दर्ज हैं- जैसे “HL-10%” या “HL-20%”, जिनका अर्थ कथित तौर पर हर्बल लाइफ कमीशन दर बताया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि किसी शिक्षक की फाइल में यदि कोई दोष पाया जाए, तो लगभग ₹20,000 के भुगतान के बाद मामला “सुलझ” जाता है। एक शिक्षक ने बताया—“अगर आप विनम्र भाषा और कुछ हरे नोट साथ ले जाएं, तो विभाग की हर फाइल क्लियर हो जाती है।”
धमकी, दबाव और डर का माहौल : शिक्षक अभिनय शाह ने जब शिकायत दर्ज कराई, तो उन्हें न्याय के बजाय धमकी मिली। उन्हें कहा गया-“शिकायत वापस लो, नहीं तो दूरस्थ क्षेत्र में ट्रांसफर पक्का समझो।”
विभागीय सूत्र बताते हैं कि लहरे और राजेश प्रधान के बीच हुई बातचीत अब पूरे विभाग में चर्चा का विषय है। शिक्षक वर्ग में यह कहावत चल पड़ी है-“शिकायत दर्ज करना नहीं, सेटिंग करना ज़्यादा सुरक्षित है।”
दलाली नेटवर्क का पूरा हिसाब : मई से सितंबर 2025 के बीच विभाग में कई शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से अधिकांश का निपटारा “समझौते” के जरिए किया गया। सूत्रों के अनुसार-
- मई में 4 शिकायतें, प्रत्येक में ₹15–20 हजार के बीच समझौते की चर्चा।
- जून में 5 शिकायतें, ट्रांसफर के डर से निपटाई गईं।
- जुलाई में 6 शिकायतें, ₹20–30 हजार में प्राइवेट डील की चर्चा।
- अगस्त में 3 शिकायतें, जिनकी फाइलें कथित तौर पर गायब कर दी गईं।
- सितंबर में 4 शिकायतें, ₹15–20 हजार कमीशन पर सुलझाई गईं।
कुल मिलाकर लगभग ₹3 लाख रुपये का “शांतिपूर्ण निपटारा” होने की अफवाहें हैं। हैरानी की बात यह है कि इतने मामलों के बावजूद किसी भी शिक्षक को निलंबित नहीं किया गया।
यूनियनों का विरोध, प्रशासन की चुप्पी : छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ ने डीईओ विजय कुमार लहरे को तत्काल हटाने की मांग की है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि “अब शिक्षा विभाग को बचाना है तो भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई ज़रूरी है।”
- शिक्षक अभिनय शाह ने भी एलान किया-“अब न्याय अदालत से मिलेगा, विभागीय सेटिंग से नहीं।”
- वहीं एक ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने बताया-“हमने कई बार रिपोर्ट दी, लेकिन ऊपर तक पहुंचने से पहले ही फाड़ दी गई। अब बोलने में भी डर लगता है।”
राजधानी तक गूंजा मामला : अब यह पूरा मामला रायपुर तक पहुंच चुका है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक भेजी जा चुकी हैं। जनता की मांग है कि सरकार तत्काल प्रभाव से इस “सेटिंग सिस्टम” पर रोक लगाए और निष्पक्ष जांच कराए। लोग तंज कस रहे हैं- “अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो हर स्कूल के बाहर लिखा मिलेगा- ‘यहां शिकायतों का त्वरित निपटारा- दरें बातचीत अनुसार।’”
महासमुंद का यह मामला शिक्षा प्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। क्या अब शिक्षा विभाग में ईमानदारी की वापसी होगी या “पैसे का पाठ” ही चलता रहेगा?
कहा जा रहा है कि डीईओ लहरे के कार्यकाल का अंत करीब है, लेकिन जब तक जांच समितियां भी “सेटिंग” के प्रभाव में हैं, तब तक सच्चाई का उजाला अधूरा ही रहेगा।
कलम का निष्कर्ष: “यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि उस शिक्षा तंत्र का आईना है, जहां गुरुजनों के बीच अब ज्ञान नहीं, बल्कि सौदेबाज़ी की भाषा बोली जा रही है।”
