बिलासपुर गोलीकांड : कांग्रेस की अंदरूनी जंग में बरसी गोलियां, युवा कांग्रेस का पूर्व उपाध्यक्ष निकला मास्टरमाइंड…

बिलासपुर। राजनीति की रंजिश ने कांग्रेस को गोलियों के साए में ला खड़ा किया है। जनपद उपाध्यक्ष नितेश सिंह की हत्या की साजिश रचने वाला कोई बाहरी अपराधी नहीं, बल्कि कांग्रेस का ही चेहरा – पूर्व युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष विश्वजीत अनंत निकला है। पुलिस ने उसे और उसके भाइयों समेत 7 आरोपियों को 24 घंटे में गिरफ्तार कर लिया है।
वर्चस्व और जमीन की लड़ाई में चलीं 14 गोलियां : नितेश सिंह और विश्वजीत अनंत के बीच राजनीतिक वर्चस्व और जमीन विवाद लंबे समय से चल रहा था। इसी रंजिश में 28 अक्टूबर की शाम, विश्वजीत ने अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर नितेश के मस्तूरी स्थित ऑफिस के बाहर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। 14 राउंड गोलियां चलीं, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। पुलिस के अनुसार, हमलावर प्रोफेशनल शूटर नहीं थे, वरना बड़ा नरसंहार हो सकता था।
जवाबी फायरिंग से बचे नितेश : फायरिंग के वक्त नितेश सिंह अपने परिजनों के साथ ऑफिस के बाहर बैठे थे। अचानक दो युवकों ने पिस्टल से गोलियां बरसाईं। राजकुमार सिंह के पैर में गोली लगी। नितेश ने लाइसेंसी पिस्टल से जवाबी फायरिंग की, जिससे हमलावर भाग निकले।
24 घंटे में खुलासा, कांग्रेस नेता सहित सात गिरफ्तार : एसएसपी रजनेश सिंह की टीम ने तेज कार्रवाई करते हुए विश्वजीत अनंत, उसके दो भाइयों और चार साथियों को पकड़ लिया। गिरफ्तार आरोपियों में दो नाबालिग भी शामिल हैं। पुलिस ने मौके से दो पिस्टल, एक कट्टा, 5 मैगजीन और जिंदा कारतूस जब्त किए हैं।
साजिश तीन बार रची गई थी : पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि नितेश की हत्या की तीन बार प्लानिंग हुई, दो बार नाकाम रही। तीसरी बार में गोलीकांड को अंजाम दिया गया। हमले की सुपारी के लिए एक लाख रुपए का लेनदेन भी हुआ था।
मंत्री और धर्मगुरुओं से भी संबंध : मास्टरमाइंड विश्वजीत के कांग्रेस नेताओं और समाज के धर्मगुरुओं से करीबी रिश्ते रहे हैं। उसने सोशल मीडिया प्र कई नेताओं के साथ कई तस्वीरें पोस्ट की हैं। वारदात के बाद भी उसने रील पोस्ट कर ‘बंदूक-लाठी’ वाला गाना लगाया, मानो गोलीकांड का जश्न मना रहा हो।
एसएसपी रजनेश सिंह ने कहा,
“यह मामला राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई से जुड़ा है। पुलिस अवैध हथियारों के पूरे नेटवर्क तक पहुंचेगी। जो भी इसमें शामिल होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।”
यह गोलीकांड कांग्रेस के अंदरूनी संघर्ष की खतरनाक हकीकत है –
जहां वर्चस्व की राजनीति ने संगठन को अपराध की आग में झोंक दिया है।
सवाल यह है कि जब राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ही गोलियों में बदल जाए तो लोकतंत्र की आवाज कौन उठाएगा?





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