भिलाई की टॉपर महिमा साहू की दर्दनाक मौत – राजनांदगांव का ‘थार कांड’ अब रईसजादों की साजिश का खुलासा…

रायपुर। 23 सितंबर की सुबह, राजनांदगांव की सोमनी में मां बम्लेश्वरी के जयकारों के बीच भक्तों की पदयात्रा बढ़ रही थी। उसी भीड़ में शामिल थी भिलाई की 12वीं की टॉपर और पोस्ट ऑफिस कर्मचारी महिमा साहू, जिसका सपना था – 2027 में कलेक्टर बनना। लेकिन, कुछ ही पलों में तेज रफ्तार काली महिंद्रा थार (CG04 QC 8007) ने उसके सपनों को कुचल डाला।
स्टंट और मौत का खेल : गवाहों के मुताबिक, थार चला रहा नाबालिग (बाधवानी) पहले ब्रेक लगाकर डराता रहा, फिर अचानक रफ्तार बढ़ाई और महिमा को कुचल दिया। उसका शरीर सड़क पर तड़पता रहा, खून से लथपथ महिमा को लोग बचा भी नहीं पाए। आरोपी नाबालिग थार को फुल स्पीड में भगाकर फरार हो गया।

भागते वक्त ठाकुर टोला टोल प्लाजा पर 500 का नोट फेंका, छुट्टे लेने तक की फुर्सत नहीं थी। वहीं, अस्पताल ले जाते वक्त महिमा ने दम तोड़ दिया।
महिमा- 16 घंटे पढ़ने वाली मेहनती बेटी : कोंडागांव पोस्ट ऑफिस में नौकरी करने वाली महिमा रोज़ 4 घंटे की ड्यूटी के बाद 10–12 घंटे पढ़ाई करती थी। IAS बनने का ख्वाब था। नौकरी लगने की मन्नत पूरी होने पर ही मां बम्लेश्वरी के दर्शन करने निकली थी। लेकिन भक्तिमय यात्रा उसके लिए मौत की यात्रा साबित हुई।
रईसजादों की साजिश : जांच में सामने आया कि थार में उस वक्त दो लड़के और दो लड़कियां थे। गाड़ी रजत सिंह की थी, जिसने इसे नयन सिंह को दी। नयन ने आगे जाकर इसे नाबालिग बाधवानी के हवाले कर दिया।
महिमा की मौत के बाद बचाने का खेल शुरू हुआ–
- नाबालिग को बचाने के लिए कवर्धा निवासी राजू कुमार धुर्वे को “फर्जी ड्राइवर” बनाकर पुलिस के सामने पेश किया गया।
- पुलिस पर भी मिलीभगत के आरोप लगे।
- लेकिन पत्रकारों और परिजनों के हंगामे के बाद सच सामने आया।
गिरफ्तारी और खुलासा : राजनांदगांव CSP वैशाली जैन ने पुष्टि की कि गाड़ी मालिक रजत सिंह ने जानबूझकर पुलिस को गुमराह किया था। कड़ाई से पूछताछ में षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ।
पुलिस ने नाबालिग बाधवानी, रजत सिंह, नयन सिंह और राजू कुमार धुर्वे को गिरफ्तार किया।
- चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया।
- नाबालिग को बाल सुधारगृह भेजा गया।
सवाल जो अब भी ज़िंदा हैं :
- क्या पुलिस शुरू से ही नाबालिग को बचाने में शामिल थी?
- रईसजादों की कारगुजारी ने महिमा जैसी मेधावी छात्रा की जान ले ली, अब क्या उन्हें भी पैसों और रसूख के दम पर आसानी से बचा लिया जाएगा?
- महिमा के सपनों और परिवार की लड़ाई को न्याय मिलेगा या यह भी “हिट एंड रन” के बाकी मामलों की तरह रफा-दफा कर दिया जाएगा?
यह केस सिर्फ़ एक सड़क हादसा नहीं है, बल्कि रईसजादों की लापरवाही, साजिश और सिस्टम की कमजोरियों का आईना है। महिमा साहू की मौत अब न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन चुकी है।




