सरगुजा युक्तियुक्तकरण कांड: शिक्षा में भ्रष्टाचार की गहरी साजिश उजागर, JD निलंबित – DEO पर अगला वार तय!…

सरगुजा।छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को खोखला कर रहे युक्तियुक्तकरण घोटाले ने अब बड़े अफसरों की कुर्सी हिला दी है। सरगुजा के तत्कालीन संयुक्त संचालक (JD) हेमंत उपाध्याय को शुक्रवार देर रात निलंबित कर दिया गया। वहीँ तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) अशोक सिन्हा पर भी शिकंजा कसना तय है।
यह कदम शिक्षामंत्री गजेंद्र यादव की कार्यशैली का पहला बड़ा संदेश है – अब सत्ता की पकड़ या राजनीतिक रसूख अफसरों को बचा नहीं पाएंगे।
- काउंसलिंग की औपचारिकता, पर ऑर्डर जारी महीने भर तक
- अतिशेष सूची से सुपर-30 जैसे शिक्षकों को जानबूझकर बाहर रखा गया
- फर्जी छात्र संख्या के प्रमाणपत्र मांगकर पोस्टिंग बचाई गई
- रिक्त पदों का झूठा आंकड़ा देकर शिक्षकों को भटकाया गया
- जिनके नाम सूची में नहीं थे, उन्हें सीधे JD-DEO दफ्तर से ऑर्डर थमा दिया गया
- व्याख्याता संस्कृत संगीता तिवारी की नियुक्ति उस स्कूल में कर दी गई जहां पद ही खाली नहीं था
- रसायन-जीव विज्ञान जैसे विषयों का मनमाना समायोजन
हेमंत उपाध्याय – सत्ता के सहारे से निलंबन तक : ऊँची राजनीतिक पहुंच और बड़े रसूख वाले माने जाने वाले उपाध्याय को शिकायतों के बाद सरगुजा से हटाया गया था। आदेश पलटाकर उन्हें दुर्ग JD बना दिया गया। लेकिन इस बार गजेंद्र यादव ने सीधे निलंबन की तलवार चला दी।

DEO अशोक सिन्हा पर सख्त जांच : सरगुजा के वर्तमान JD संजय गुप्ता ने 11 बिंदुओं पर जांच बिठाई है। हर बिंदु में मनमानी और अनियमितता की बू है।
- आर्थिक अनियमितता से लेकर नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा तक के आरोप।
- दर्जनों आदेश एक माह बाद तक संशोधित करना, पद रिक्त न होते हुए भी नियुक्तियां करना – सबूतों की लंबी फेहरिस्त तैयार।
- सूत्रों का दावा – “जांच रिपोर्ट फाइनल होते ही सिन्हा पर भी गाज गिरना तय है।”

शिक्षकों का विद्रोह :
- 400 से ज्यादा शिक्षक जिला और संभागीय समिति पहुंचे।
- हाईकोर्ट तक गुहार लगी।
- संभागीय समिति की सुनवाई पूरी हो चुकी है और ज्यादातर आपत्तियां सही साबित हुईं।
- आदेश का इंतजार, लेकिन शिक्षा विभाग के गलियारों में खौफ।
⚡ बड़ा सवाल : क्या यह सिर्फ सरगुजा का मामला है?
या फिर पूरे प्रदेश की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है?
सरगुजा में हुई कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। शिक्षामंत्री का अगला कदम प्रदेश के बाकी जिलों में भी अफसरों की नींद उड़ा सकता है।
शिक्षकों की जुबान में एक ही सवाल – “अब और कितने हेमंत- सिन्हा बेनकाब होंगे?”