बालोद : बेटी की सुरक्षा के लिए सिस्टम से हारा पिता, छेड़छाड़ से तंग आकर आंखों के सामने लगा ली फांसी…

बालोद। जिले से एक दिल दहला देने वाली और सिस्टम के मुंह पर तमाचा जड़ने वाली घटना सामने आई है। एक पिता, जो अपनी बेटी को शोहदों से बचाने के लिए पिछले एक महीने से उसका ‘बॉडीगार्ड’ बना हुआ था, उसने अंततः पुलिस की निष्क्रियता और समाज के डर से हार मान ली। सोमवार देर रात ग्राम समिति अध्यक्ष रामनारायण टांडिया (44 वर्ष) ने अपनी बेटी के सामने ही कार रोकी और पेड़ से फांसी लगाकर जान दे दी।
इस आत्मघाती कदम के पीछे की वजह पुलिस की लापरवाही बताई जा रही है, जिसने शिकायत के बावजूद आरोपी पर कार्रवाई नहीं की।
1 किलोमीटर दौड़कर घर पहुंची बदहवास बेटी : घटना सोमवार रात की है। रामनारायण अपनी बेटी को दुर्ग कॉलेज से लेकर वापस लौट रहे थे। रास्ते में साल्हेटोला-धरमपुरा के बीच उन्होंने अचानक कार रोकी और बिना कुछ कहे पेड़ से फांसी लगा ली। पिता को फंदे पर झूलता देख बेटी के होश उड़ गए। वह घने अंधेरे में लगभग 1 किलोमीटर पैदल दौड़ती हुई घर पहुंची और अपने बड़े पिताजी (लक्ष्मी नारायण टांडिया) को घटना की जानकारी दी। जब तक परिजन मौके पर पहुंचे, रामनारायण की सांसें थम चुकी थीं।
17 अक्टूबर को की थी शिकायत, पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही : परिजनों का आरोप है कि रामनारायण की मौत की जिम्मेदार सीधे तौर पर पुलिस है।
- शिकायत : 17 अक्टूबर को रामनारायण ने थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि एक युवक उनकी बेटी को लगातार परेशान कर रहा है और धमकियां दे रहा है।
- आरोपी की बेखौफ धमकियां : रिपोर्ट के बाद भी पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इधर, आरोपी के हौसले इतने बुलंद थे कि वह लगातार लड़की को धमकाता रहा।
- पिता बना पहरेदार : आरोपी के डर से रामनारायण पिछले एक महीने से अपना सारा काम छोड़कर रोज बेटी को कॉलेज छोड़ने और लाने जाते थे। वे गहरे मानसिक तनाव में थे।
गोद ली हुई बेटी को नाजों से पाला था : मृतक के बड़े भाई लक्ष्मी नारायण ने बताया कि रामनारायण ने इस बेटी को बचपन में गोद लिया था और सगी बेटी से बढ़कर प्यार दिया। उन्होंने उसे एमएससी तक पढ़ाया और अब डीएड करवा रहे थे ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। लेकिन एक मनचले की वजह से हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया।
थाने बना छावनी : शव रखकर पुलिस से भिड़े परिजन और विधायक – मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद गुस्साए ग्रामीणों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सब्र टूट गया। वे पिकअप में शव रखकर सीधे बालोद थाने पहुंच गए।
- हंगामा : थाने के सामने शव रखकर जोरदार प्रदर्शन किया गया। इस दौरान बालोद विधायक संगीता सिन्हा, पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा और कांग्रेस जिलाध्यक्ष चंद्रेश हिरवानी समेत सैकड़ों कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए।
- झूमाझटकी : आक्रोशित परिजन शव को सड़क पर रखकर चक्काजाम करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने बलपूर्वक उन्हें रोका। इस दौरान एसडीओपी, टीआई और परिजनों के बीच तीखी झड़प और झूमाझटकी हुई।
सवालों के घेरे में खाकी : विधायक संगीता सिन्हा ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “मृतक ने पहले ही शिकायत दर्ज कराई थी। हमने आरोपी का मोबाइल नंबर तक पुलिस को दिया, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। अगर पुलिस समय रहते जाग जाती, तो आज एक पिता जिंदा होता।”
पुलिस की सफाई : ‘जल्द होगी गिरफ्तारी’ – बवाल बढ़ता देख टीआई शिशुपाल सिन्हा ने रटा-रटाया जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस आरोपी की तलाश में कई जगहों पर दबिश दे रही है। उसका मोबाइल ट्रेस किया गया है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
यह घटना सवाल पूछती है कि आखिर बेटियों की सुरक्षा के दावे फाइलों तक ही सीमित क्यों हैं? एक पिता को न्याय के लिए अपनी जान क्यों देनी पड़ी? क्या आरोपी की गिरफ्तारी के लिए किसी की मौत का इंतजार किया जा रहा था?




