तमनार ब्रेकिंग : मौत के मुहाने पर सो रहा था परिवार, दीवार तोड़कर बेडरूम में घुसा ‘काल’ बनकर आया ट्रेलर…

रायगढ़। “मौत कब, कहाँ और किस रूप में आ जाए, कहा नहीं जा सकता” – यह कहावत बीती रात रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक स्थित ग्राम पंचायत झिंकाबाहल में उस वक्त चरितार्थ होते-होते बची, जब गहरी नींद में सो रहे एक परिवार के सिर पर मौत मंडरा गई।
1 बजे रात का खौफनाक मंजर : बीती 2 दिसम्बर की दरम्यानी रात लगभग 1 बजे, जब पूरा गाँव सन्नाटे में था, अचानक एक जोरदार धमाके ने झिंकाबाहल को दहला दिया। एक अनियंत्रित ट्रेलर वाहन (क्रमांक CG-15 AC 0828) रफ़्तार के कहर के साथ मेन रोड किनारे स्थित समारू राम ओगरे के मकान में जा घुसा।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि पक्का मकान ताश के पत्तों की तरह क्षतिग्रस्त हो गया। समारू राम ने बताया कि वह और उनका परिवार गहरी नींद में थे, तभी अचानक घर की दीवार मलबे में तब्दील होकर उनके ऊपर आ गिरी। जब उनकी आँख खुली, तो देखा कि काल बनकर आया भारी-भरकम ट्रेलर उनके बिस्तर (खाट) से महज कुछ इंच की दूरी पर खड़ा था। गनीमत रही कि वाहन की रफ़्तार दीवार तोड़ने में कम हो गई, वरना पूरा परिवार आज जिंदा नहीं होता।
KMAG इंटरनेशनल के अधीन चल रहा था वाहन : प्राप्त जानकारी के अनुसार, दुर्घटना को अंजाम देने वाला यह ट्रेलर KMAG इंटरनेशनल, बिलासपुर (अर्पित अग्रवाल) के अधीन संचालित बताया जा रहा है, जबकि इसका मालिक स्थानीय है। इस घटना ने एक बार फिर औद्योगिक वाहनों की बेलगाम रफ़्तार और कंपनियों की लापरवाही की पोल खोल दी है।
ग्रामीणों का सब्र टूटा, सड़क पर कोहराम : हादसे के बाद सुबह होते ही ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। “जान बची तो लाखों पाए” वाली कहावत यहाँ बेमानी साबित हुई क्योंकि घर पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। आक्रोशित ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने पीड़ित परिवार के समर्थन में चक्का जाम कर दिया है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मेन रोड किनारे बसे घरों के लिए भारी वाहन अब “यमराज” साबित हो रहे हैं। आए दिन हो रहे हादसों के बावजूद प्रशासन और कंपनियों के कान पर जूं नहीं रेंग रही। ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा और सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, आंदोलन जारी रहेगा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार? – घटनास्थल पर मौजूद टेलर मालिक संघ तमनार के अध्यक्ष दयानंद पटनायक ने इस हादसे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे एक ‘वेक-अप कॉल’ बताया है। उन्होंने कहा :
“यहाँ की आम जनता अत्यंत दहशत में है। रोड किनारे रहने वाले लोग अब अपने ही घरों में सुरक्षित नहीं हैं। यह घटना बताती है कि वाहन चालकों पर स्पीड कंट्रोल कितना जरूरी है। स्थानीय कंपनियों को सिर्फ मुनाफे पर ध्यान देने के बजाय जनहित में ठोस कदम उठाने होंगे, वरना स्थिति और विस्फोटक हो सकती है।”
प्रशासन से सवाल : घटना के बाद से प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं। आखिर रिहायशी इलाकों से गुजरने वाले इन भारी वाहनों की गति सीमा तय क्यों नहीं की जाती? क्या प्रशासन किसी बड़ी जनहानि का इंतज़ार कर रहा है? फिलहाल, मौके पर तनाव बना हुआ है और ग्रामीण न्याय की मांग पर अड़े हैं।




