पत्रकारिता पर हमला या साजिश? छत्तीसगढ़ में बुलंद समाचार पत्र के संपादक को सच्चाई लिखने की सज़ा!…

रायपुर/नई दिल्ली। पत्रकारों की आवाज़ को दबाने और सच्चाई को छुपाने की एक और शर्मनाक मिसाल छत्तीसगढ़ से सामने आई है। बुलंद छत्तीसगढ़ समाचार पत्र में प्रकाशित एक खबर ने न केवल सत्ता गलियारों में हलचल मचा दी, बल्कि उस खबर के बाद समाचार संपादक और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई, घर पर हमला कराया गया और फिर उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर प्रताड़ित करने का घिनौना खेल शुरू कर दिया गया।
इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय पत्रकार सहायता संघ (RPSS) ने सीधे भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय को भेजी है, जिसमें पूरे घटनाक्रम की जांच CBI से कराए जाने की मांग की गई है।
क्या है पूरा मामला : 8 अक्टूबर 2025 को बुलंद छत्तीसगढ़ समाचार पत्र ने एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी संजीव तिवारी और अन्य कर्मियों की कथित अनियमितताओं को उजागर किया गया था। इसके बाद, आरोप है कि अधिकारी संजीव तिवारी और उनके सहयोगियों ने संपादक मनोज पांडेय को न केवल धमकाया बल्कि 9 अक्टूबर को उनके घर पर हमला करवाने की साजिश भी रची।
इस हमले में पत्रकार का परिवार बाल-बाल बचा, लेकिन अदालत की बजाय पुलिस और प्रशासन ने पीड़ित को ही अपराधी बना दिया।
पत्रकार के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया गया, ताकि वे चुप हो जाएं।
पत्रकार संघ ने राष्ट्रपति से लगाई गुहार : राष्ट्रीय पत्रकार सहायता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवती प्रसाद द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में कहा गया है कि –
“पत्रकार को सच्चाई लिखने की सज़ा देना लोकतंत्र की हत्या के समान है। यह पूरा घटनाक्रम सत्ता-संरक्षित भ्रष्टाचार और प्रशासनिक दबाव की देन है। पीड़ित पत्रकार को न्याय दिलाने के लिए मामले की जांच CBI से कराई जानी चाहिए।”
पत्रकार संघ ने यह भी आरोप लगाया कि मामले में रायपुर के कुछ प्रभावशाली अधिकारियों और स्थानीय पुलिस ने जानबूझकर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
पत्रकार समुदाय में आक्रोश : पत्रकारों के इस संगठन ने कहा है कि अगर इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो देशभर के पत्रकार आंदोलन करेंगे। RPSS का कहना है कि “यह केवल एक पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की जड़ों पर हमला है।”
पत्रकारों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों से अपील की है कि सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों को सुरक्षा और न्याय मिले।
पत्रकारों की मांग :
- घटना की CBI से निष्पक्ष जांच।
- पत्रकार व उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए।
- फर्जी मुकदमा वापस लेकर दोषियों पर कार्रवाई।
- छत्तीसगढ़ सरकार से पत्रकार संरक्षण अधिनियम लागू करने की मांग।
छत्तीसगढ़ में यह मामला लोकतंत्र की चौथी कड़ी – पत्रकारिता – पर सीधे हमले का प्रतीक बन गया है। एक ओर राज्य में “पारदर्शिता” और “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” की बातें की जाती हैं, वहीं दूसरी ओर सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकारों को डराने, धमकाने और फंसाने का सिलसिला जारी है।
अब सवाल यह है – क्या सच्चाई लिखने का अपराध इतना बड़ा है कि एक पत्रकार को उसके परिवार सहित निशाना बनाया जाए?




