जशपुर

जशपुर पुलिस में भूचाल : नाबालिग संरक्षण जैसे संवेदनशील मामले में घोर लापरवाही, कोतवाली थाना प्रभारी तत्काल लाइन अटैच

जशपुर। नाबालिग संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज गंभीर अपराध को हल्के में लेने वाले कोतवाली जशपुर थाना प्रभारी आशिष तिवारी पर आखिरकार गाज गिर गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने उन्हें तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच कर दिया है। आदेश में साफ लिखा है—विवेचना के दौरान जो हुआ वह कर्तव्यहीनता की चरम सीमा है।

“नाबालिगों की सुरक्षा में लापरवाही- यह सिर्फ गलती नहीं, अपराध है” – SSP जशपुर

बालकों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 और 8 के तहत दर्ज प्रकरण में आरोपी की गिरफ्तारी के बाद
➡️ न तो केस की कानूनी प्रक्रिया ठीक से अपनाई गई
➡️ न आवश्यक दस्तावेजों को संवेदनशीलता के साथ निपटाया गया
➡️ और न ही केस को उस गंभीरता से देखा गया, जिसकी नाबालिगों से जुड़े मामलों में अनिवार्यता होती है।

इस पूरे प्रकरण में थाना प्रभारी पर “गंभीर लापरवाही और पेशेवर कर्तव्य की मृत्यु” जैसा आरोप लगा है।

SSP शशि मोहन सिंह का सीधा संदेश –
“नाबालिगों से जुड़े अपराधों में ढिलाई का कोई अधिकार किसी पुलिस अधिकारी को नहीं है। यह कर्तव्यहीनता नहीं, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारी का उल्लंघन है।”

पुलिस विभाग में तीव्र हलचल : थाना प्रभारी स्तर के अधिकारी पर इतनी सीधी और कठोर कार्रवाई- महकमे के भीतर सवालों की आँधी खड़ी कर चुकी है।
क्या यह केवल एक अधिकारी की लापरवाही है?
या
बाल संरक्षण से जुड़े मामलों को दबाने, ठंडे बस्ते में डालने और कमजोर करने की अंदरूनी व्यवस्था उजागर हो रही है?

जशपुर जैसे संवेदनशील जिले में यह कार्रवाई एक बड़ा प्रशासनिक संकेत है-पुलिस विभाग में ऊपरी स्तर पर जवाबदेही की माँग और तेज होने वाली है।

जांच SDOP को सौंपी, 10 दिन में रिपोर्ट का अल्टीमेटम : एसडीओपी चंद्रशेखर परमा को पूरा प्रकरण सौंप दिया गया है।
एसएसपी का अल्टीमेट निर्देश- “10 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।” यानी अब देरी, ढिलाई या लीपापोती की कोई गुंजाइश नहीं।

आखिर क्या था मामला? –

✔ अपराध क्रमांक 312/2025
✔ बाल संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 74, 75, 64(2)(एम), 65(1), 6 व 8
✔ आरोपी की गिरफ्तारी के बाद भी कार्रवाई का उचित पालन नहीं
✔ केस में गंभीरता न बरतने पर SSP की कड़ी नाराज़गी

यह वह श्रेणी है, जिसमें पुलिस की जरा-सी ढिलाई भी नाबालिगों की सुरक्षा पर सीधा हमला मानी जाती है।

संदेश साफ है – जशपुर पुलिस में अब ‘लापरवाही संस्कृति’ बर्दाश्त नहीं : यह सिर्फ एक अधिकारी का लाइन अटैच होना नहीं है, यह जशपुर पुलिस को दिए गए कड़े और ऐतिहासिक संदेश का पहला अध्याय है।नाबालिगों की सुरक्षा से जुड़े मामलों में अब

  • न तो लापरवाही बर्दाश्त होगी
  • न ही पद का दुरुपयोग
  • और न ही कमजोर विवेचना

जशपुर पुलिस के भीतर अब जवाबदेही की नई रेखा खींच दी गई है।

Ambika Sao

सह-संपादक : छत्तीसगढ़

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