
नई दिल्ली, 5 दिसंबर 2025। संसद के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा। लोकसभा ने लंबी बहस के बाद ‘हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025’ (Health Security se National Security Cess Bill) को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के कानून बनने के बाद पान मसाला, गुटखा और तंबाकू जैसे उत्पादों पर एक नया ‘उपकर’ (Cess) लगेगा, जिससे आने वाला पैसा सीधे देश की सेना और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में खर्च होगा।
क्या है यह नया बिल और किस पर लगेगा टैक्स? : इस बिल का मुख्य उद्देश्य ‘डिमैरिट गुड्स’ (हानिकारक उत्पादों) पर टैक्स लगाकर दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए फंड जुटाना है: राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य।
- किन चीजों पर असर: यह सेस मुख्य रूप से पान मसाला, गुटखा और कुछ विशिष्ट तंबाकू उत्पादों पर लगाया जाएगा।
- कैसे लगेगा टैक्स: सरकार अब इन उत्पादों के उत्पादन (Quantity) के बजाय मशीनों की क्षमता (Production Capacity) पर टैक्स लगाएगी। इसका मकसद टैक्स चोरी रोकना है।
- महंगाई: इस बिल के पास होने से पान मसाला और सिगरेट जैसे उत्पाद महंगे हो जाएंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ‘कारगिल तर्क’ : संसद में बिल पर हुई चर्चा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस टैक्स को देश की सुरक्षा के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने सदन में एक बेहद गंभीर उदाहरण देते हुए कारगिल युद्ध की याद दिलाई।
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में पूर्व आर्मी जनरलों (विशेषकर तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल वी.पी. मलिक) के बयानों का हवाला देते हुए कहा:
“1990 के दशक की शुरुआत से बजट की कमी के कारण हमारी सेना के पास ‘ऑथराइज़्ड’ (अधिकृत) हथियारों, गोला-बारूद और उपकरणों का केवल 70-80% स्टॉक ही मौजूद था। जब कारगिल की लड़ाई हुई, तो सेना को भारी कमी का सामना करना पड़ा था। हम नहीं चाहते कि भारत में वह स्टेज फिर कभी वापस आए।”
उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक युद्धों में प्रिसिजन वेपन्स (सटीक हथियार), स्पेस एसेट्स और साइबर सुरक्षा की जरूरत है, जो बहुत महंगे हैं। इसलिए, देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता और इसके लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत है।
विपक्ष के सवाल और सरकार का जवाब : संसद में इस बिल पर दो दिन (गुरुवार और शुक्रवार) तक तीखी बहस चली।
- विपक्ष का तर्क: विपक्षी सांसदों ने सवाल उठाया कि “पान मसाला पर टैक्स लगाकर डिफेंस बजट क्यों भरा जा रहा है?” उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार के पास रक्षा के लिए फंड की कमी हो गई है?
- सरकार का जवाब: निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया कि “स्वास्थ्य राज्यों का विषय है, लेकिन रक्षा केंद्र का। हम एक तीर से दो निशाने साध रहे हैं—हानिकारक उत्पादों की खपत कम करना (हेल्थ सिक्योरिटी) और उससे मिले पैसे से सेना को मजबूत करना (नेशनल सिक्योरिटी)।” उन्होंने साफ किया कि आटा-दाल जैसी जरूरी चीजों पर यह सेस नहीं लगेगा।
तकनीकी बदलाव : अब GST नहीं, एक्साइज ड्यूटी और सेस : यह बिल इसलिए लाया गया है क्योंकि GST कंपनसेशन सेस (जो राज्यों को घाटे की भरपाई के लिए था) की समयसीमा खत्म हो रही है।
- सरकार नहीं चाहती थी कि तंबाकू उत्पादों पर कुल टैक्स कम हो।
- इसलिए, पुराने सेस को हटाकर उसकी जगह यह नया ‘हेल्थ एंड नेशनल सिक्योरिटी सेस’ और सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी में बदलाव किए गए हैं। इससे इन उत्पादों पर टैक्स की दर (लगभग 40% GST + नया सेस) ऊंची बनी रहेगी।
आगे क्या होगा? – लोकसभा से पास होने के बाद अब यह बिल राज्यसभा में जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। इसके लागू होते ही पान मसाला और तंबाकू कंपनियों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा, जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा, लेकिन सरकार का दावा है कि इसका फायदा सीमाओं पर तैनात जवानों को मिलेगा।




