पत्थलगांव में शिक्षा का गिरता स्तर : निजी स्कूलों में ‘एजुकेशन माफिया’ का खेल, सवालों के घेरे में अधिकारी?…

पत्थलगांव। हैप्पी भाटिया : शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों में अब कारोबार और चालबाजी का अड्डा बनता जा रहा है। पत्थलगांव क्षेत्र के कई निजी स्कूलों में शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य से खुला खिलवाड़ हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह सब जिला शिक्षा अधिकारी और संभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की आंखों के सामने हो रहा है, फिर भी कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई।
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक ही अपने स्कूल के बच्चों को ट्यूशन देकर परीक्षा में आने वाले प्रश्न पहले से बता देते हैं। यही कारण है कि हर परीक्षा – चाहे तिमाही हो, छमाही या वार्षिक – उन्हीं “चिन्हित छात्रों” के नाम टॉपर सूची में नजर आते हैं। बाकी छात्र मेहनत के बावजूद पिछड़ जाते हैं। सवाल उठता है कि जब यह गोरखधंधा सबको मालूम है, तो जिला शिक्षा अधिकारी और संभागीय अधिकारी मौन क्यों हैं?
“एजुकेशन में सेटिंग-सिस्टम” का खुला खेल : कई अभिभावकों ने बताया कि कुछ स्कूलों में परीक्षा का पेपर लीक करने का चलन आम हो गया है। शिक्षक खुद अपने स्कूलों के बच्चों को निजी ट्यूशन देकर सवाल-पत्र पहले से बता देते हैं। इससे निष्पक्ष मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।
निरीक्षण और जवाबदेही की मांग : अभिभावकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि जिला शिक्षा अधिकारी तत्काल टीम गठित कर पत्थलगांव के निजी स्कूलों की जांच करें। जिन शिक्षकों या स्कूलों पर अनियमितता के प्रमाण मिलें, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही शिक्षकों को अपने ही स्कूल के छात्रों को निजी ट्यूशन देने से प्रतिबंधित किया जाए।
अभिभावकों में बढ़ा रोष : स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की मेहनत और योग्यता को “सेटिंग सिस्टम” निगल रहा है। वे चाहते हैं कि शिक्षा विभाग पारदर्शिता के लिए परीक्षा प्रक्रिया की समीक्षा करे और निष्पक्षता सुनिश्चित करे।
सवाल यह है – क्या जिला शिक्षा अधिकारी और संभागीय अधिकारी अब भी इस पर आंख मूंदे रहेंगे, या पत्थलगांव की शिक्षा व्यवस्था में फैले इस ‘शिक्षा जाल’ पर शिकंजा कसने की हिम्मत दिखाएंगे?




