किसान से ‘मदद’ के नाम पर लूट – ACB ने चांपा SDM दफ्तर में मचाया तहलका, ₹1.80 लाख रिश्वत कांड का भंडाफोड़…

जांजगीर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में भ्रष्टाचार के गढ़ माने जाने वाले सरकारी दफ्तरों में आज एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की संयुक्त टीम ने जबरदस्त कार्रवाई कर दी। चांपा SDM कार्यालय में पदस्थ भू-अर्जन शाखा के अमीन पटवारी बिहारी सिंह और कंप्यूटर ऑपरेटर राजकुमार देवांगन को ₹1 लाख 80 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। दोनों अधिकारी एक किसान से उसकी अधिगृहित भूमि के मुआवजा भुगतान में “मदद” के नाम पर यह रिश्वत मांग रहे थे।
मामला तब सामने आया जब जिला सक्ती के ग्राम रायपुरा निवासी किसान बुधराम धीवर ने 16 अक्टूबर को बिलासपुर स्थित एसीबी यूनिट में शिकायत दर्ज कराई। किसान ने बताया कि उसकी और उसकी बहन के नाम से ग्राम कोसमंदा, जिला जांजगीर में स्थित जमीन का अधिग्रहण नेशनल हाईवे निर्माण के लिए किया गया था। इसके बदले अगस्त 2025 में चांपा SDM कार्यालय से भू-अर्जन अधिकारी द्वारा उनके संयुक्त खाते में ₹35 लाख 64 हजार 99 रुपये का मुआवजा भुगतान किया गया था। भुगतान के बाद चांपा SDM कार्यालय के पटवारी बिहारी सिंह और ऑपरेटर राजकुमार देवांगन ने किसान से संपर्क किया और कहा कि खाते से मुआवजा राशि निकलवाने और प्रक्रिया पूरी कराने के लिए ₹1 लाख 80 हजार देने होंगे। किसान ने रिश्वत देने से इंकार किया तो दोनों ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
इसके बाद किसान ने भ्रष्टाचार की शिकायत बिलासपुर एसीबी कार्यालय में दी। शिकायत की पुष्टि होने पर एसीबी डीएसपी अजितेश सिंह के नेतृत्व में टीम ने योजनाबद्ध तरीके से ट्रैप की पूरी तैयारी की। बुधवार को तय योजना के मुताबिक शिकायतकर्ता बुधराम धीवर को रिश्वत की राशि ₹1.80 लाख के साथ आरोपी पटवारी और ऑपरेटर के पास भेजा गया। जैसे ही दोनों ने रकम हाथ में ली, उसी क्षण पहले से घात लगाए एसीबी अधिकारियों ने दबिश देकर दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया। मौके से पूरी रिश्वत की रकम बरामद की गई, जिस पर पहले से विशेष केमिकल लगाया गया था। जांच के दौरान नोटों के रंग दोनों के हाथों पर पाए गए, जिससे रिश्वत लेने की पुष्टि हो गई।

अचानक हुई इस कार्रवाई से चांपा SDM कार्यालय में हड़कंप मच गया। कई कर्मचारी घबराकर भागने की कोशिश करने लगे, लेकिन एसीबी टीम ने पूरे परिसर को तत्काल घेर लिया। टीम ने दफ्तर में मौजूद दस्तावेजों की भी जांच शुरू कर दी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि दोनों आरोपी कितने समय से इस तरह का भ्रष्टाचार चला रहे थे। दोनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 12 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एसीबी डीएसपी अजितेश सिंह ने बताया कि आरोपियों को जल्द ही न्यायालय में पेश किया जाएगा और आगे की जांच में यह भी सामने लाया जाएगा कि इस घूसखोरी में और कौन-कौन कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पिछले डेढ़ साल में एसीबी बिलासपुर यूनिट की 36वीं सफल ट्रैप कार्रवाई है, जो प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान की निरंतर सफलता को दर्शाती है।
एसीबी की इस तगड़ी कार्रवाई से चांपा और जांजगीर के सरकारी दफ्तरों में जबरदस्त खलबली मच गई है। स्थानीय लोगों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्रवाई उन किसानों के लिए राहत की सांस लेकर आई है, जिन्हें अपने ही मुआवजे के लिए महीनों दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं और रिश्वतखोर अफसरों के सामने झुकना पड़ता है। एसीबी की इस कार्रवाई ने साबित कर दिया है कि अब भ्रष्टाचार के हर अड्डे पर कानून का शिकंजा कसना तय है।




