डौंडी में गौवंश तस्करी का नया विवाद : किसान संघ पर अवैध बिक्री के गंभीर आरोप, मौर्य मंडल ने थाने में शिकायत दर्ज की

फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के डौंडी क्षेत्र में गौ संरक्षण को लेकर एक नया विवाद गरमाया है, जो स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों के बीच तनाव पैदा कर रहा है। दिनांक 14 जुलाई 2025 में गोठान से 350 गौवंशों की तस्करी की जांच अभी ठंडे बस्ते में है, वहीं अब किसान संघ पर घुमंतू पशुओं को बिना अनुमति बेचने का आरोप लग रहा है। मौर्य मंडल गौ सेवा समिति ने इसकी लिखित शिकायत डौंडी थाने में दर्ज कराई है, जिसमें रसीद की कॉपी भी संलग्न की गई है। यह मामला न केवल गौवंश संरक्षण कानूनों का उल्लंघन दर्शाता है, बल्कि संगठनों की दोहरी नीतियों पर सवाल उठाता है। क्या यह घटना राज्य सरकार के गौ संरक्षण अभियानों को चुनौती देगी? आइए, इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल करें।
डौंडी नगर पंचायत क्षेत्र में घुमंतू गौवंशों की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। 14 जुलाई 2025 को स्थानीय गोठान से लगभग 350 पशुओं के लापता होने की घटना की जांच आज तक पूरी नहीं हुई है। इसी बीच, एक नया मामला सामने आया है, जिसमें किसान संघ डौंडी पर आरोप है कि उन्होंने घुमंतू गौवंशों को इकट्ठा कर बिना शासन की मंजूरी के बेच दिया। मौर्य मंडल गौ सेवा समिति के सदस्यों ने दावा किया है कि संघ ने नगर निकाय को सूचना देने के बहाने पशुओं को बाहर निकाला और फिर 500-1000 रुपये प्रति पशु के हिसाब से लिखित समझौते पर 100 से अधिक गौवंशों की अवैध बिक्री कर दी। समिति ने थाना प्रभारी को सौंपे गए शिकायत पत्र में कहा गया है कि यह कार्य छत्तीसगढ़ गौवंश संरक्षण अधिनियम 2020 और राज्य सरकार के निर्धारित दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने रसीदों की फोटोकॉपी भी सबूत के रूप में जमा की है और मांग की है कि मामले की गहन जांच हो, ताकि जिम्मेदारों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सके। इससे भविष्य में ऐसी अवैध गतिविधियां रुक सकें।

इस मामले में किसान संघ की दोहरी भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक तरफ, संघ ने सीएमओ के खिलाफ ‘सीएमओ हटाओ अभियान’ चलाकर व्यापारी संघ से 27 अक्टूबर को डौंडी बंदी का समर्थन मांगा था, ताकि निकाय को घेरा जा सके। लेकिन चार दिन पहले ही उन्होंने सीएमओ से घुमंतू पशुओं को नगर सीमा से बाहर हटाने की अनुमति ले ली। इसके बावजूद, ऐसा न करने के बजाय पशुओं को बेच दिया गया। स्थानीय ग्रामीणों ने घोठिया गांव में गौवंशों की आपूर्ति का जमकर विरोध किया, लेकिन संघ ने इसे अनदेखा कर दिया। जानकारों का मत है कि किसान संघ को गौवंशों के क्रय-विक्रय का कोई अधिकार नहीं है। यह पूरी तरह गैरकानूनी है, क्योंकि राज्य में गौवंश व्यापार के लिए सख्त नियम-शर्तें हैं, जैसे पंजीकरण, अनुमति और पारदर्शी प्रक्रिया। यदि जांच में यह साबित हुआ, तो यह तस्करी का रूप ले सकता है, जैसा कि जिले में पहले कई मामलों में देखा गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार के गौ संरक्षण अभियान:
छत्तीसगढ़ सरकार ने गौ संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई हैं। ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ (एनजीजीबी) अभियान के तहत गोठानों का निर्माण किया गया है, जहां घुमंतू पशुओं को रखा जाता है और वर्मी कम्पोस्ट जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं। 2020 में पारित ‘छत्तीसगढ़ गौवंश संरक्षण अधिनियम’ के तहत गौहत्या पर कड़ी सजा (7-10 वर्ष कैद) और तस्करी पर सख्त प्रावधान हैं। ‘गौ सेवा आयोग’ स्थापित कर पशु चिकित्सा सेवाएं मजबूत की गईं, जबकि ‘मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना’ से 5 लाख से अधिक पशुओं को चारा और इलाज उपलब्ध कराया गया। 2025 तक 2,000 गोठान संचालित हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर निगरानी की कमी से चुनौतियां बनी हुई हैं। सरकार ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि तस्करी पर जीरो टॉलरेंस अपनाएं, जैसा कि बालोद में हालिया कार्यवाहियों में देखा गया। इन अभियानों से राज्य में गौवंशों की संख्या 1.5 करोड़ से अधिक हो चुकी है, लेकिन जागरूकता और सतर्कता बढ़ाने की जरूरत है।
डौंडी का यह मामला गौ संरक्षण के लिए एक सबक है। प्रशासन को तुरंत जांच तेज करनी चाहिए, ताकि निर्दोष पशु सुरक्षित रहें और कानून का पालन सुनिश्चित हो। स्थानीय संगठनों को भी सहयोग देना होगा। अन्यथा, ऐसे विवाद राज्य के संरक्षण प्रयासों को कमजोर कर देंगे।




