खैरागढ़-छुईखदान-गंडई

“20 साल की ममता पर चली आरी” – बुजुर्ग मां की तरह पेड़ से लिपटकर रोती रही महिला, जमीन कारोबारी इमरान मेमन गिरफ्तार – खैरागढ़ में फूट पड़ा जनाक्रोश…

खैरागढ़। यह सिर्फ़ एक पेड़ नहीं था – यह एक मां का 20 साल का रिश्ता था।
छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले के सर्रागोंदी गांव में एक दिल दहला देने वाला वीडियो वायरल है।
वीडियो में एक बुजुर्ग महिला कटे हुए पीपल के पेड़ से लिपटकर बिलख रही है – जैसे किसी ने उसका बेटा छीन लिया हो।

यह वही पेड़ था जिसे उसने अपने हाथों से लगाया था, रोज़ पानी दिया, पूजा की, और जिसे वह “अपने बेटे जैसा” मानती थी।
लेकिन एक दिन अचानक कुछ लोगों ने उसकी 20 साल की ममता पर आरी चला दी – और पूरा गांव सन्न रह गया।

“मेरे बेटे को क्यों काट दिया?” – महिला की चीत्कार से कांप उठा गांव :  वीडियो में बुजुर्ग महिला चिल्ला रही है, “मेरे बेटे को क्यों काट दिया?”
उसकी रुलाई ऐसी थी कि गांव के लोग भी अपने आँसू रोक नहीं सके।
हर कोई देख रहा था – इंसान की “तरक्की” के नाम पर प्रकृति की हत्या कैसे होती है।

जमीन व्यापारी इमरान मेमन पर गंभीर आरोप :  ग्रामीणों ने खुलासा किया कि इस पेड़ को खैरागढ़ निवासी इमरान मेमन ने अपने साथी प्रकाश कोसरे के साथ मिलकर कटवाया।
दोनों ने यह पेड़ इसलिए हटवाया ताकि उनकी खरीदी हुई जमीन के सामने का सरकारी हिस्सा समतल हो सके।
यानी, एक महिला का 20 साल का स्नेह सिर्फ़ एक रियल एस्टेट मुनाफे की बलि चढ़ा दिया गया।

FIR दर्ज, आरोपी हिरासत में :  ग्रामीणों के आक्रोश के बाद मामला खैरागढ़ थाने पहुंचा।
शिकायतकर्ता प्रमोद पटेल की रिपोर्ट पर पुलिस ने अपराध क्रमांक 464/2025 के तहत
धारा 298 व 3(5) भारतीय न्याय संहिता (BNS) में मामला दर्ज किया है।

पुलिस ने आरोपी इमरान मेमन को हिरासत में लिया है। पूछताछ में उसने माना कि
पेड़ को काटने का आदेश उसी ने दिया था और मशीन को सबूत मिटाने के लिए नदी में फेंक दिया गया
अब पुलिस गोताखोरों की मदद से मशीन बरामद कर रही है।
आरोपियों की स्कूटी भी जब्त की गई है।

आस्था का केंद्र था यह पीपल : ग्रामीणों का कहना है कि यह पीपल गांव की श्रद्धा और आस्था का केंद्र था।
हर दिन पूजा, दीपक और जल चढ़ाने की परंपरा थी।
यह पेड़ सरकारी भूमि पर था, लेकिन किसी के लिए “सिर्फ़ पेड़” नहीं था –
यह था गांव का जीवंत देवता, गांव की आत्मा।

जनाक्रोश: “हमारे देवता को काट दिया गया है” :  पेड़ कटने की खबर फैलते ही ग्रामीणों ने खैरागढ़ थाने का घेराव कर दिया।
नारे गूंज उठे —

“पेड़ नहीं काटने देंगे!”
“प्रकृति से छेड़छाड़ बंद करो!”
“हमारे देवता की हत्या हुई है!”

गांववालों की मांग है कि आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई हो और
शासकीय भूमि पर पेड़ काटने वाले माफियाई नेटवर्क की जांच की जाए।

पेड़ फिर से जिया – उम्मीद के रूप में : आंसुओं और आक्रोश के बीच ग्रामीणों ने उसी जगह नया पीपल का पौधा लगाया।
उनका कहना है —

“यह सिर्फ़ पौधा नहीं, हमारी आस्था का पुनर्जन्म है।”

सोशल मीडिया पर भावनाओं का सैलाब :  यह वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल चुका है।
लोग लिख रहे हैं –

“इंसान अब इतना पत्थर हो गया है कि मां जैसी भावनाएं भी उसके लिए बाधा बन गईं।”
“जिसने पेड़ काटा, उसने सिर्फ़ प्रकृति नहीं, एक मां का दिल काट दिया।”

सवाल अब भी बाकी है :

  • क्या विकास की कीमत हमारी संवेदनाओं से चुकानी होगी?
  • क्या जमीन के नाम पर हरियाली की हत्या का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा?
  • खैरागढ़ की यह घटना अब सिर्फ़ एक गांव की नहीं,
  • बल्कि पूरे समाज की आत्मा को झकझोरने वाला सवाल बन गई है।

Admin : RM24

Investigative Journalist & RTI Activist

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