
• पत्थलगांव में एसडीएम का विवादित फैसला – भूमाफियाओं की सांठगांठ या दबाव?…
पत्थलगांव (जशपुर)। यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता पर सीधा हमला है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गृह जिले जशपुर की पत्थलगांव तहसील में आदिवासी शिव प्रसाद सिदार की पुश्तैनी जमीन को भूमाफियाओं ने प्रशासनिक सांठगांठ के जरिये हड़प लिया। सबसे चौंकाने वाली बात यह कि यह सब कुछ न्यायालय की चौखट पर हुआ, और फैसले पर सवाल खड़े करने वाले हालात आज पूरे जिले में चर्चा का विषय हैं।
हड़बड़ी में सुनाया गया फैसला
- शिव प्रसाद सिदार की जमीन बिना बिक्री और बिना अनुमति के ही कूटरचना कर भूमाफिया अरुण अग्रवाल के साथी महेश सिंह के नाम चढ़ा दी गई।
- मामला वर्षों से एसडीएम कोर्ट में लंबित था, लेकिन एसडीएम रितुराज सिंह बिसेन ने सुनवाई की तारीख से एक दिन पहले ही फैसला सुना दिया।
- न प्रार्थी को सूचना, न मौजूदगी का अवसर – और न ही निष्पक्ष सुनवाई।
एसडीएम का चौंकाने वाला बयान : जब पीड़ित ने एसडीएम से सवाल पूछा तो उनका सीधा जवाब था:
“मैं जहां भी रहा हूं, ऐसे फैसले करता आया हूं और आज तक किसी ने इन्हें चुनौती नहीं दी।”
क्या यही है प्रशासनिक निष्पक्षता? क्या यही है न्याय?
सवालों के घेरे में प्रशासन :
- लंबे समय से लटके मामले को दो महीने में ही निपटाने की हड़बड़ी क्यों?
- सुनवाई की तारीख से पहले ही फैसला देने की मजबूरी क्या थी?
- क्या भूमाफियाओं का दबाव प्रशासन पर हावी है?
- मुख्यमंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र में ही आदिवासी की जमीन सुरक्षित नहीं, तो पूरे प्रदेश में आदिवासी किससे उम्मीद करें?
आदिवासी अस्मिता पर हमला : शिव प्रसाद सिदार और उनका परिवार अब दर-दर न्याय की गुहार लगा रहा है। जमीन न मिली, न्याय न मिला – सिर्फ अन्याय और निराशा हाथ लगी। यह केवल एक परिवार की लड़ाई नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता, हक और अधिकार की लड़ाई है।
यह मामला साफ करता है कि भूमाफिया और अफसरशाही की सांठगांठ आज इतनी मजबूत हो चुकी है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में भी आदिवासी अपनी जमीन से बेदखल कर दिए जा रहे हैं। सवाल साफ है – क्या यह ‘नया न्याय’ है या ‘नया अन्याय’?




