बहुचर्चित उप सरपंच चुनाव विवाद: डर और धमकियों का नया मोड़, थाने में भी नहीं बची शिकायतकर्ता की सुरक्षा

सारंगढ़। बरमकेला जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत मारोदरहा का उप सरपंच चुनाव विवाद अब हिंसक और खतरनाक रूप ले चुका है। मामला केवल चुनावी घोटाले तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शिकायतकर्ता को लगातार जान से मारने की धमकियाँ और केस वापस लेने के लिए दबाव बनाए जाने का आरोप सामने आया है।
विद्याधर बरिहा, जिन्होंने उप सरपंच दिनेश डनसेना और उनके समर्थकों के खिलाफ चुनाव में धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगाया था, का कहना है कि उन्हें बार-बार जान से मारने की धमकी दी जा रही है। उनके सहयोगी खितीभूषण पटेल के साथ मिलकर विद्याधर ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई।

धमकियाँ और दबाव: जंगल तक ले जाने की कोशिश : शिकायतकर्ता ने बताया कि गुरुवार को वे एसडीएम न्यायालय में पेशी के लिए बरमकेला पहुँचे थे। इस दौरान उप सरपंच और उनके समर्थकों ने उनका पीछा किया, रास्ते में घेर लिया और डराकर केस वापस लेने का दबाव बनाया। आरोप है कि उन्हें जंगल ले जाने और जान से मारने की धमकी दी गई। साथ ही खाली कागजों पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए।
थाने में भी नहीं बची सुरक्षा : आश्चर्यजनक रूप से यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई। थाने में भी उप सरपंच और उनके समर्थक शिकायतकर्ता का पीछा करते हुए छीना-झपटी में जुट गए। यह स्पष्ट सवाल खड़ा करता है कि आखिर पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में इतनी खुली दबंगई कैसे संभव हुई?
13 नामजद आरोपी : विद्याधर और खितीभूषण ने अपनी शिकायत में कुल 13 लोगों को नामजद किया है, जिनमें उप सरपंच दिनेश डनसेना, सरपंच पति टेकलाल सिदार, शक्राजीत साहू, गंधर्वी चौहान, जगदीश डनसेना, तेजकुमार डनसेना, मालिकराम साहू, संजय सिदार, संतोष साहू, बलभद्र पटेल, अशोक पटेल और लोचन बरिहा शामिल हैं।
भय और असुरक्षा का माहौल : विद्याधर बरिहा ने बताया कि लगातार धमकियों के कारण वे भय और तनाव के माहौल में जी रहे हैं। उनका कहना है कि यदि प्रशासन समय रहते कार्रवाई नहीं करता, तो उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है।
कौन दे रहा है संरक्षण? – उप सरपंच और उनके समर्थक कोर्ट परिसर और थाने में खुलेआम दबंगई कर रहे हैं। पुलिस की मौजूदगी में पीड़ित से हुज्जतबाज़ी, धमकियाँ और भय का माहौल—यह सब सवाल उठाता है कि आखिर उन्हें ऐसा कौन सा संरक्षण मिला है कि वे न तो कानून से डरते हैं और न ही प्रशासन से।
आगे की राह :अब सबकी निगाहें प्रशासन और न्यायिक प्रणाली पर टिकी हैं। देखना यह होगा कि इस बहुचर्चित मामले में कड़ी कार्रवाई होगी या फिर दबंगों के हौसले और बढ़ेंगे।




