दुर्ग में धार्मिक प्रतीक को लेकर बवाल : आर्मी जवान की मां ने पुलिस पर लगाया जबरन झंडा उतरवाने और बदसलूकी का आरोप…

दुर्ग। जिले के मचांदूर गांव में एक हिंदू परिवार और पुलिसकर्मियों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। मामला आर्मी जवान के परिवार से जुड़ा होने के कारण यह और संवेदनशील हो गया है।
पुलिस पर गंभीर आरोप : आर्मी जवान कौशल निषाद की मां नेहा निषाद का आरोप है कि उनके घर में लगा भगवान राम का झंडा हटवाने शुक्रवार रात दो पुलिसकर्मी जबरन पहुंचे। न केवल झंडा उतरवाने की कोशिश की गई, बल्कि छुट्टी पर आए जवान के साथ गाली-गलौज और हाथापाई तक की गई। परिवार का कहना है कि पुलिसकर्मी यह कहते हुए दबाव बना रहे थे कि “मुस्लिम त्योहार चल रहा है, झंडा हटा दो”, और बेटे को थाने ले जाने की धमकी दी गई।
नेहा निषाद ने सवाल उठाया – “क्या अब अपने ही घर में धार्मिक प्रतीक लगाने के लिए भी किसी और समुदाय की इजाजत लेनी होगी?”
हिंदू परिवारों पर दबाव का आरोप : पीड़ित परिवार के समर्थन में बजरंग दल खुलकर सामने आया। संगठन के संयोजक रवि निगम ने दावा किया कि मचांदूर गांव में करीब 40-50 मुस्लिम परिवार रहते हैं जबकि हिंदू परिवार केवल दो ही हैं। आरोप है कि गांव के असलम खान, नवाब खान और महमूद खान ने न केवल नेहा निषाद के परिवार से मारपीट की बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी।

बजरंग दल ने यह भी आरोप लगाया कि हमले में शामिल पुलिसकर्मी नशे की हालत में थे और गांव में लंबे समय से गौ-तस्करी, अवैध कब्जे और आपराधिक गतिविधियों को संरक्षण मिलता आ रहा है।
कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन, चेतावनी दी : शनिवार को बजरंग दल के कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। उनकी मांग है कि –
- आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए,
- पीड़ित परिवार की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हो,
- मुस्लिम पक्ष के हमलावरों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।
पुलिस की सफाई और कार्रवाई : इस विवाद पर दुर्ग के एडिशनल एसपी अभिषेक सिंह ने स्वीकार किया कि मचांदूर चौकी क्षेत्र की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश कर दी गई है। साथ ही गांव में अवैध रूप से रह रहे लोगों की जांच शुरू कर दी गई है और राजस्व विभाग को पत्र लिखा गया है।
यह पूरा मामला अब सिर्फ एक धार्मिक झंडे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हिंदू-मुस्लिम तनाव, पुलिस की भूमिका और अवैध गतिविधियों के आरोपों ने इसे बड़ा विवाद बना दिया है। प्रशासन पर अब दबाव है कि वह जल्द और निष्पक्ष कार्रवाई करे, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं।