गौसेवा का ढोंग और लैलूंगा की सच्चाई – सड़क पर तड़पकर दम तोड़ती रहीं दो गायें, भाजपा शासन की संवेदनहीनता उजागर!…

लैलूंगा। “गौमाता हमारी माता है, उनकी सेवा धर्म है” – यह नारा हर मंच से लगाने वाली भाजपा सरकार और उसके संगठन के नेता अब गौमाता की मौत पर भी खामोश हैं। लैलूंगा नगर के नया बस स्टैंड के पास दिनचर्या इलेक्ट्रॉनिक और जनरल स्टोर के सामने दो गायों की बीच सड़क पर तड़प-तड़पकर दर्दनाक मौत हो गई, मगर प्रशासन से लेकर नगर पंचायत तक कोई जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा।
सुबह से ही स्थानीय लोगों ने नगर पंचायत, पशु चिकित्सा विभाग और थाना लैलूंगा को कई बार फोन कर सूचना दी, लेकिन पूरे दिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। गौमाता की लाशें सड़क पर सड़ती रहीं और “गौसेवा” के स्वयंभू ठेकेदार नेता फोटो खिंचाने और भाषण देने के काम में व्यस्त रहे।
लैलूंगा के नागरिकों ने तीखा सवाल उठाया है –
“क्या भाजपा की गौसेवा सिर्फ चुनावी जुमला थी? जब जिंदा गौमाता तड़प रही थीं, तब ‘गौरक्षक’ और ‘संघ सेवक’ कहां थे?”
दुकानदारों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ी। तेज़ दुर्गंध, गर्मी और प्रशासन की बेरुखी ने पूरे बाजार को बेहाल कर दिया।
यह घटना साफ़ दर्शाती है कि भाजपा शासित निकायों का तथाकथित “स्वच्छ भारत” और “गौरक्षा” अभियान सिर्फ पोस्टर और भाषणों तक सीमित है। करोड़ों रुपये के बजट और योजनाओं के बावजूद बीच बाजार में दो गौमाताओं की लाशें घंटों तक सड़कों पर पड़ी रहीं, लेकिन नगर पंचायत के अधिकारी और भाजपा के पदाधिकारी मूकदर्शक बने रहे।
स्थानीय नागरिकों ने चेतावनी दी है कि अगर नगर पंचायत और थाना प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई नहीं की, तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों के साथ-साथ भाजपा के जनप्रतिनिधियों से भी जवाब मांगा जाएगा।
अब जनता पूछ रही है –
“गौसेवा के नाम पर वोट तो ले लिए, अब जवाब कौन देगा?”
“कहां गए वे नेता जो ‘गौमाता’ की सेवा को धर्म बताते थे?”
लैलूंगा की यह घटना सिर्फ प्रशासनिक असफलता नहीं, बल्कि राजनीतिक पाखंड का जीवंत उदाहरण है। गौसेवा के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए यह आइना है – जिसमें जनता अब साफ़ देख रही है कि भाजपा की गौसेवा सिर्फ मंचों पर जिंदा है, सड़कों पर नहीं!




