
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
रायपुर/धमतरी। छत्तीसगढ़ के शिक्षा तंत्र में भ्रष्टाचार के नए खुलासे से हलचल मच गई है। उत्तर बस्तर कांकेर जिले के आरटीआई कार्यकर्ता व पत्रकार आरएल कुलदीप ने 13 मई 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी, धमतरी को शिकायत पत्र भेजकर शासकीय प्राथमिक शाला भाटापारा बंजारी (कुरूद) के शिक्षक देवबरद जांगडे के दस्तावेजों की जांच की मांग की थी। जो पांच माह बीत जाने के बावजूद उनके शिकायत पत्र पर धूल की मोटी परत जमने और भ्रष्टाचार में सामूहिक संलिप्तता को दर्शाती है। आरएल कुलदीप ने सूचना के अधिकार के तहत इस घोटाले को उजागर कर यह गंभीर आरोप लगाया है कि देवबरद जांगडे ने फर्जी मार्कशीट के आधार पर शिक्षक पद हड़प लिया, जिससे योग्य अभ्यर्थी सरकारी नौकरी से वंचित होकर बेरोजगार घूम रहा है।
शिकायत के अनुसार, कुलदीप ने आरटीआई एक्ट के माध्यम से जिन दस्तावेजों की कॉपी पाई, उसमें शिक्षक देवबरद जांगडे की 12वीं की अंकसूची में अंकों से छेड़छाड़ (कूटरचना) पाई गई। मूल प्रमाणपत्र के मुताबिक सैद्धांतिक विषय में 550 पूर्णांक में सिर्फ 240 अंक थे, लेकिन जांगडे द्वारा पेश कूटरचित अंक सूची में वही विषय और पूर्णांक के बदले 440 अंक दर्शाये गए। अंक बढ़ाकर, योग्यता की झूठी छवि बनाई और शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी कर दी गई।

आरएल कुलदीप का कहना है कि विभाग द्वारा दस्तावेज जांच व सत्यापन सही तरीके से नहीं किया गया, जिससे फर्जी अध्यापक, सिस्टम में घुस गया। जो अब स्कूल के छात्रों को क्या ज्ञान दे रहा होगा? उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी से मांग की है कि देवबरद जांगडे के समस्त दस्तावेजों, यानी जन्म प्रमाणपत्र, मार्कशीट, नियुक्ति पत्र एवं सत्यापन रिपोर्ट की गहन जांच जरूर करवाई जाए, ताकि सच्चाई सामने आए। आरटीआई एक्टिविस्ट ने खुलासा किया कि न सिर्फ एक व्यक्ति, बल्कि इसमें अन्य सरकारी कर्मचारी व अधिकारी इस कूटरचित नौकरी के भ्रष्टाचार में भी बराबर के हिस्सेदार व जिम्मेदार रहे हैं। ऐसी लापरवाही व भाई-भतीजावाद के कारण छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में युवा सालों से नौकरी के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं।
इस कांड की वजह से न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया की गरिमा दागदार हुई, साथ ही असली हकदार बेरोजगार हो गए। वित्तीय वर्ष के दौरान सभी सरकारी नियुक्तियों में दस्तावेजों का आधार-लिंक्ड डिजिटल वेरिफिकेशन अनिवार्य करने की भी मांग की गई है, ताकि भविष्य में कोई योग्य उम्मीदवार हक से वंचित न हो।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार शिकायत का परीक्षण शुरू हो चुका है। आरएल कुलदीप का कहना है कि आरटीआई के माध्यम से क्या-क्या भ्रष्टाचार उजागर किया जा सकता है— यह मामला मिसाल बनेगा। विभाग पर जवाबदेही बढ़ी है; अब देखना है कि जिला शिक्षा अधिकारी जाँच प्रक्रिया में कितनी पारदर्शिता दिखाते हैं।
यह मामला न सिर्फ क्षेत्रीय, बल्कि राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है; आरएल कुलदीप की कोशिश से छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं को न्याय मिलने की उम्मीद फिर जगी है। इस पूरी घटना से साफ है, सही सूचना का अधिकार और एक्टिव लोगों की वजह से ही देश का सिस्टम शुद्ध हो सकता है। आरटीआई की ताकत और जागरूकता से समाज में बदलाव संभव है। शिक्षा विभाग को अब अपनी भूल सुधारनी होगी, ताकि भविष्य में योग्य युवाओं को नौकरी दिलाई जा सके और फर्जीवाड़े से पढ़ाई का सम्मान बच सके।
शासकीय प्राथमिक शाला भाटापारा बंजारी (कुरूद) में पदस्थ शिक्षक देवबरद जांगडे के विरुद्ध फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी की शिकायत प्राप्त हुई है। माध्यमिक शिक्षा मंडल से जानकारी ली जा रही है, नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
अभय जायसवाल
जिला शिक्षा अधिकारी, धमतरी (छत्तीसगढ़)




